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दिव्या ज्योति जागृती संस्थान की ओर से शीतला माता मंदिर में चल रहे श्री राम कथा कै छटे दिन में प्रज्ञा चक्षु साध्वी शची भारती द्वारा माता शबरी का प्रसंग प्रस्तुत किया गया

(पंजाब) फिरोजपुर 30 नवंबर [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]=

फिरोजपुर के माता शीतला मंदिर में सात दिन की श्री राम कथा का छठा दिन आध्यात्मिकता, भक्ति और गहरे भावों से भरा रहा। पूरे मंदिर परिसर में भक्ति का अनोखा माहौल संगत को अंदर तक भिगो रहा था।
इस पावन अवसर पर, सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या प्रज्ञा चक्षु साध्वी शची भारती जी ने माता शबरी की भक्ति, उनके इंतज़ार, वैराग्य और अटूट विश्वास के प्रसंग को बहुत ही भावुक और ज्ञानवर्धक तरीके से समझाया। साध्वी जी ने कहा कि शबरी ने अपने गुरु की एक ही आज्ञा — “राम आओ” — को अपनी पूरी ज़िंदगी की साधना बना लिया। उनके सब्र, लगातार इंतज़ार और सच्ची भक्ति ने भगवान राम को उनकी कुटिया में आने पर मजबूर कर दिया।
साध्वी जी ने यह भी कहा कि शबरी के प्रेम और समर्पण ने रघुनंदन को इतना खुश किया कि उन्होंने उसके झूठे बेर भी खाए। प्रेम की यह सबसे ऊँची परंपरा हमें बताती है कि अगर मन में शबरी जैसी तड़प हो, अटूट विश्वास हो और भगवान को पाने की सच्ची भावना हो, तो भगवान खुद आत्मा के हृदय में प्रकट हो जाते हैं। इस मौके पर साध्वी साध्या भारती जी, साध्वी चित्रा भारती जी और साध्वी भगवती भारती जी ने मधुर भजन और कीर्तन गाकर कार्यक्रम को और भी भक्तिमय और रस्मी बना दिया। उनकी रस्मी कला ने संगत को गहरे आनंद और शांति से भर दिया। इसके अलावा, स्वामी चंद्रशेखर जी ने संगत को संबोधित करते हुए समझाया कि सात के तराजू पर केवल पूर्ण सतगुरु ही खड़े होते हैं, जो दिव्य ज्ञान के माध्यम से व्यक्ति को उसके भीतर ईश्वर के प्रकाश रूप के दर्शन करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे शबरी को गुरु की कृपा से राम के दर्शन हुए, वैसे ही पूर्ण सतगुरु की शरण में आकर हर इंसान अपने जीवन को समृद्ध बना सकता है। कथा के छठे दिन शहर की कई जानी-मानी हस्तियों ने शिरकत की, जिससे कार्यक्रम और भी महत्वपूर्ण हो गया। पूरे मंदिर परिसर में भक्ति, शांति और भावना का अद्भुत मिश्रण देखा गया। कथा का पावन समापन भगवान की आरती के साथ हुआ, जिसके दौरान पूरी संगत भक्ति के रंग में रंग गई। आखिर में, सभी आए हुए लोगों के लिए खाने और नाश्ते का अच्छा इंतज़ाम किया गया था। छठा दिन लगन, विश्वास और आध्यात्मिक खुशी से भरा था और पूरी संगत के लिए एक यादगार अनुभव बन गया।

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