लोक कलाकार प्रदेश की विरासत और संस्कृति के परिचायक हैं- केंद्रीय संस्कृति मंत्री

लोक कलाकार प्रदेश की विरासत और संस्कृति के परिचायक हैं। केंद्रीय संस्कृति मंत्री
कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 10 दिसम्बर : किसी भी राष्ट्र की पहचान उसकी गगनचुम्भी इमारतों से नहीं बल्कि उसकी सांस्कृतिक जड़ों और परम्पराओं से होती है। इस अमूल्य धरोहर को जीवित रखने का श्रेय लोक कलाकारों को जाता है जो अपनी परम्पराओं को गीत-संगीत, नृत्य, अभिनय के साथ जिंदा रखे हुए हैं। लोक कलाकार ही प्रदेश की संस्कृति और विरासत के परिचायक है, जो लोक कला को संजोकर रखते हैं। ये कहना था केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र शेखावत का। वे समालखा के पट्टी कल्याणा में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, हरियाणा द्वारा आयोजित भारतीय इतिहास, संस्कृति और संविधान विषयक त्रिवार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर हरियाणा कला परिषद के लोक कलाकारों की प्रतिभा की सराहना करते हुए संस्कृति मंत्री ने कहा कि आज के आधुनिक युग में एक ओर जहां युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर हो रही है, वहीं लोक कलाकार अपने प्रदेश के परम्परागत तौर तरीकों तथा रीति-रिवाजों को अपनी प्रतिभा के माध्यम से आमजन तक पहुंचाकर लोक कलाओं को जिंदा रखे हुए हैं। हरियाणा कला परिषद ऐसे कलाकारों को मंच देकर न केवल अपने दायित्व को पूरा कर रही है, बल्कि युवा पीढ़ी तक प्रादेशिक परम्पराओं को पंहुचाने का काम भी कर रही है। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम को शोभा प्रदान की। हरियाणा कला परिषद के निदेशक नागेंद्र शर्मा ने अतिथियो को स्वागत किया। नागेंद्र शर्मा ने बताया कि हरियाणा कला परिषद की ओर से महिला लोकदल राजेश जांगड़ा ने तिलक लगाकर तथा पारम्परिक लोकगीत गाकर अतिथियों का स्वागत किया। मनोज जाले के नृत्य दल तथा हरपाल नाथ के बीन दल ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए कार्यक्रम में चार चांद लगाए।




