Uncategorized

विश्व ध्यान दिवस : आध्यात्मिकता की राह पर मेडिटेशन का महत्व

कुरुक्षेत्र, अमित 21 दिसंबर : श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के उपकुलपति डॉ. करतार सिंह ने कहा कि इंद्रियों और मन की चंचलता ही योग में सबसे बड़ी बाधा है। अनुशासित और संतुलित जीवन ही योग है। वे प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र सेवा केंद्र में विश्व ध्यान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि विचार व्यक्त कर रहे थे।उन्होंने यम, नियम, प्रत्याहार, धारणा और ध्यान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मन और इंद्रियों का नियंत्रण ही सच्चा ध्यान है। उन्होंने कहा कि पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और अब विश्व ध्यान दिवस का मनाया जाना विश्व के लिए सौभाग्य की बात है। ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय कुरुक्षेत्र सेवा केंद्र की प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी सरोज बहन‌ जी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 दिसंबर को ‘विश्व ध्यान दिवस’ के रूप में घोषित किया जाना मानवता की सेवा में एक महत्वपूर्ण और दूरदर्शी पहल है। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर मेडिटेशन के महत्व को पहचानना और उसे जन-जन तक पहुँचाना है। उन्होंने कहा कि मेडिटेशन के माध्यम से मनुष्य अपनी आंतरिक शक्तियों को जागृत कर सकता है, जिससे न केवल जीवन स्वस्थ, संतुलित और आनंदमय बनता है, बल्कि सामूहिक रूप से एक शांतिपूर्ण, संवेदनशील और श्रेष्ठ समाज की स्थापना में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलता है। उन्होंने परिवर्तन को संसार का शाश्वत नियम बताते हुए कहा कि यह दुनिया निरंतर परिवर्तनशील है और मेडिटेशन अज्ञानता व अंधकार से घिरे मानव जीवन में एक नया उजाला लाता है।
सरोज बहन ने कहा कि आज मनुष्य का मन बाहरी संसार में भटक रहा है, जबकि जीवन की प्रत्येक समस्या का समाधान हमारे भीतर ही छिपा है। मेडिटेशन के माध्यम से जब हम अंतर्मुखी होते हैं, तो स्वयं को शांत, प्रकाशवान, ऊर्जावान, दिव्य और आत्मस्वरूप में स्थित कर पाते हैं। राजयोग मेडिटेशन द्वारा आत्म-पहचान और आत्म-बोध का मार्ग प्रशस्त होता है, जिससे व्यक्ति स्वयं को और परमात्मा को उनके सत्य स्वरूप में जान पाता है। उन्होंने बताया कि राजयोग मेडिटेशन मन को परमपिता परमात्मा से जोड़ने का सशक्त माध्यम है। परमात्मा की याद से दिव्य शक्ति और प्रेरणा प्राप्त होती है, जिससे कर्म स्वतः श्रेष्ठ बनते हैं। यह मेडिटेशन मन को आंतरिक शांति प्रदान करता है, व्यवहार को श्रेष्ठ बनाकर संबंधों में मधुरता लाता है तथा तनाव, भय और चिंता से मुक्ति दिलाता है। मन की शांति से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। अंत में उन्होंने ब्रह्माकुमारीज़ के संदेश “स्व-परिवर्तन से विश्व परिवर्तन” पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि हम प्रतिदिन 15–20 मिनट स्वयं को और परमात्मा को दें, तो न केवल अपना जीवन सकारात्मक रूप से बदल सकते हैं, बल्कि पूरे विश्व में शांति और सद्भाव की लहर फैला सकते हैं। मंच संचालन बी.के. प्रियंका बहन ने किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व ध्यान दिवस घोषित किए जाने के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए आंतरिक शांति और वैश्विक सद्भाव की आवश्यकता पर बल दिया। ब्रह्माकुमारी सरोज बहन ने मुख्य अतिथि को शाल ओढ़ा कर एवं ईश्वरीय सौगात भेंट कर सम्मानित किया। इस दौरान डॉ. रामेश्वर शर्मा, राजेश कुमार, करण सिंह, भगतराम, एडवोकेट रणधीर सिंह, बलवंत कुमार, गुरमेल सिंह, जगदीश कुमार, कृष्ण कुमार, कनिष्क, मुकेश, निर्मल सैनी, विमला, शैलजा, संतोष कुमारी, सुदेश शर्मा, गीता रानी, हेमलता, माला, राजरानी, हर्षा सहित अनेक भाई-बहन मौजूद रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
plz call me jitendra patel