पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं कि भविष्य कैसा होगा : ज्योतिषाचार्य डॉ. महेंद्र शर्मा।

पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं कि भविष्य कैसा होगा : ज्योतिषाचार्य डॉ. महेंद्र शर्मा।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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उत्तर भारत के प्रसिद्ध आयुर्वेद ज्योतिषाचार्य डॉ. महेंद्र शर्मा से नव संवत्सर “राक्षक” पर विशेष बातचीत।

पानीपत 26 अप्रैल :- उत्तर भारत के प्रसिद्ध आयुर्वेद ज्योतिषाचार्य शास्त्री अस्पताल के संचालक डॉ . महेंद्र शर्मा ने नव संवत्सर राक्षक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि
मत्स्यमांसप्रियो नित्यं नित्यं लुब्धक वृतिमान्।
सुराहारी वृथा पापी जायते राक्षसे नर:।।
राक्षस संवत्सर में उत्पन्न होने वाला जातक मत्स्य मांस प्रिय, हिंसाकर्म में प्रवृत्त, मद्यपायी और व्यर्थ पाप करने वाला होता है।
नश्यन्ति सर्वस्यानि रोगार्तीश्च महर्घता।
प्रजानाशो भयं घोरं राक्षसे गौरि! पीड़नम्।।
भगवान शिव गौरी की राक्षस नामक संवत्सर का फलादेश बताया कि प्राकृतिक प्रकोपों एवं अव्यवस्थाओं के कारण फसलों की हानि, विभिन्न रोगों एवं महामारी से लोगों में कष्ट रहे, आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि महंगाई बढ़ेगी। हर ओर भय पीड़ा का वातावरण रहे, युद्ध प्राकृतिक प्रकोपों आदि से व्यापक जनहानि रहेगी। अब सत्ताधीश और उनके भक्त माने या न मानें, अपनी परम्परागत हठ धर्मिता पर कायम रहें , बचाव में झूठ पर झूठ बोलें ,यह सच है कि राक्षस नामक संवत्सर का प्रभाव तो फरवरी से ही प्रारम्भ हो चुका था, याने पूत के पांव…।
ब्राह्मण यूं ही बेकार की बहस कर रहे हैं कि ….आनन्द जो कि लुप्त हो चुका है।
हमारे जीवन में आगे का घटनाक्रम और उसका परिणाम कैसा होगा। विषय वही संवत्सर के नाम और नाम के अनुसार वर्तमान में हो रहे घटना क्रम को ले कर है कि अभी तो नवसंवत्सर के आगमन को एक पक्ष भी नहीं हुआ कि जीवन के हर क्षेत्र में चाहे वो धार्मिक हो या सामाजिक , राजनैतिक हो या आर्थिक किसी भी क्षेत्र से आप को कहीं सुख चैन अमन या “आनन्द” की अनुभूति हुई और तो और प्रकृति भी अनुकूल नहीं चल रही। डॉ. महेंद्र शर्मा ने बताया कि संवत्सर के प्रारम्भ होने से लगभग एक माह पूर्व उत्तराखण्ड में हिमशिलाखण्ड गलेशियर गिरा था और कल फिर गिर गया। संवत्सर का नाम राक्षस है और राजा और मन्त्री मंगल होने से राजनैतिक क्रूरता झूठ फरेब हिंसा हत्या क्रोध प्रतिशोध खींचातानी प्रतिस्पर्धा राजनीति के निचले भूतल के स्तर पर आ गई है और निरंकुशता का राज्य चल रहा है। छोटे भाइयों का भूमि का हक़ बड़े भाई मारेंगे। मंगल भूमि का प्रतीक है तो खाद्य पदार्थ और पेट्रो प्रोडक्ट महंगे होंगे। आर्थिक विषमताओं से हम सभी परिचित हैं कि आज यह महंगाई बेरोजगारी काला बाजारी भुखमरी और यहां तक कि अब तो ऑक्सीजन भी चोरी हो रही है। युवा वर्ग को शैक्षणिक योग्यतानुसार काम नहीं मिल रहा और भूभाग का अधिष्ठाता अन्नदाता किसान सड़कों पर आन्दोलित है। राम राज्य के नाम पर राजनैतिक और प्रशासनिक क्रूरता का कोई अन्त नहीं सर्वत्र भ्रष्टाचार का बोलबाला है, नेता लोग सत्तालोलुप हैं कोई भी नियम कानून संविधान यहां तक कि धर्म इनके सामने बौने पड़ रहे हैं। भयंकर व्यापारिक मंदी चल रही है, मंगल और राक्षस के कारण भूमि पर तापमान बढ़ रहा है। हमारी भूमि पर गत 6 माह से अब तो कोरोना नामक वायरल बीमारी ने विकराल रूप धारण कर लिया है । उन्होंने बताया कि मेरी तो यह पेशगोई है कि पूरे वर्ष में शायद ही कोई भाग्यशाली भारतीय नागरिक होगा जिस को यह वायरस स्पर्श नहीं करेगा क्यों कि जब यह वायु अर्थात पर्यावरण में फैल चुका है तो सांस तो सभी ने लेना ही है इसलिये कोई थोड़ा कोई अधिक संक्रमित होना तो तय माना जाना चाहिये। हम को यह वायरस कम से कम स्पर्श करे , इसलिये हम सभी को बचाव के समस्त संसाधनों का प्रयोग, परस्पर दूरी, मुहं नाक को मास्क से ढक कर रखना, भीड़ वाले क्षेत्रों में मजबूरी पर जाना , सफाई रखना सैनीटाईज़र का प्रयोग आदि आदि बहुत से साधन हैं। हम सनातन धर्मी तो आध्यत्मिक ऊर्जा से भी अपना और अपने आसपास के क्षेत्र में हवन यज्ञ के माध्यम से पर्यावरण शुद्ध कर सकते हैं। इस यज्ञ को आप स्वयं ही करें। क्यों कि हम प्रायः यही समझते हैं कि फलां ब्राह्मण को बुलाएंगे तभी यज्ञ होगा, उस ब्राह्मण को दक्षिणा आदि देनी होगी तो अपना स्वयं ही गायत्री और महा मृत्युंजय मन्त्रों से हवन करें। उन्होंने कहा कि मैं तो यह कहता हूं कि असमंजस की स्थिति में और कोई यज्ञ हवन करे या न करे ब्राह्मण को अपने दायित्व का निर्वहन करना चाहिये । इससे न केवल वह स्वयं सुरक्षित रहेगा , उसका परिवार सुरक्षित रहेगा अपितु जहां जहां भी हवन की सुगन्धि प्रवेश करेगी वहां वहां वायरस का प्रकोप स्वतः ही समाप्त होगा क्यों कि हवन सामग्री में गिलोय तिल इन्द्र जौ कमलगट्टा बूरा खण्ड गुग्गुल लोबान देशी घी नारियल बुरादा आदि सभी आयुर्वेदिक चिकित्सा पदार्थ हैं। हवन में आहूत होने पर हम इनकी सुगन्ध को सूंघने की क्रिया ( Inhalation Therapy ) से निरोग रहेंगे। आयुर्वेदिक चिकित्सा की सभी औषधियां आपकी रसोई में पड़ी हैं। आप हल्दी कालीमिर्च लौंग इलायची अजवायन गिलिय लहसुन प्याज़ तुलसी गुड़ सेंधा नमक का क्वाथ सेवन करें। तकलीफ होने पर चिकित्सक से परामर्श कर महासुदर्शन घन बटी त्रिभुवनकीर्ति रस सितोपिलादि चूर्ण हरिद्रा चय्वनप्राश श्वासकुठार रस का सेवन करें आप को किसी हॉस्पिटल नहीं भागना पड़ेगा ।
आप कोविड 19 के लिये आयुर्वेदिक उपचार के लिये दूरभाष 94215-700494 डॉ. देवांशु शर्मा ( एम डी आयुर्वेदा ) से परामर्श ले सकते हैं।
उन्होंने बताया कि आज ही भामिनि विलास ग्रन्थ पढ़ रहा था कि हमारे देश में कार्य करने वाले मनुष्यों को तथाकथित ज्ञानीजन अविचारी मनुष्य जो चाहते हैं ; अपनी मर्ज़ी से करते हैं, वह न तो बैठने के स्थान पर बैठते हैं , न ही कहने की बात कहते हैं और न ही कार्य करते हैं।
यदि स्थिति बढ़िया होती तो सर्वत्र आनन्द ही आनन्द होता। यह आनन्द की स्थिति ऐसी होती ।
हम तो इस भयावह स्थिति में दूरी की बात कह रहे हैं तो संवत्सर का नाम “राक्षस” ही है और उसके अनुरूप ही वातावरण दूषित हो रहा है। वातावरण को देखते हुए शायद विद्वतजनों को नाम की महिमा समझ आ जाये।
आयुर्वेद ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र शर्मा “महेश” शास्त्री अस्पताल पानीपत दूरभाष – 92157-00495,

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