हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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हिसार :- निकटवर्ती गांव श्री पंचमुखी बालाजी धाम, चौधरीवास, के संस्थापक ब्रह्मलीन गुरुजी श्री गोपीराम जोशी (श्री बड़े भाईजी) की पुण्यतिथि आज धाम में मनाई गई। धाम के महंत गुरुजी श्री पवन कुमार जोशी ने अपने पूज्य पिताजी व धाम के संस्थापक की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर जन मानस की कोरोना महामारी से रक्षा हेतु प्रार्थना की।
उन्होंने बताया कि हर वर्ष वैशाख शुक्ल चतुर्दशी एवं पूर्णिमा को ब्रह्मलीन श्री गुरुजी की पुण्यतिथि पर दो दिवसिय कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जिसमे विशाल भण्डारा, रात्रि जागरण के साथ धार्मिक आयोजन में विभिन्न प्रदेशों से आये उनके शिष्य व भक्त अपनी हाजरी लगाते है व गुरुजी की कृपा आशीर्वाद प्राप्त करते है। किंतु इस वर्ष महामारी के बढ़ते प्रकोप व लोकडाउन के कारण यह आयोजन सूक्ष्म व सादगी से दरबार मे उपस्थित सेवको द्वारा ही मनाया गया जिसमें प्रातः गुरुजी के चरण कमल का पंचामृत से अभिषेक कर पूजन व विशेष आरती के पश्चात पुष्पांजलि अर्पित की गई। तत्पश्चात प्रसाद भोग लगाकर गौ सेवा व ब्राह्मण भोजन करवाया गया। श्री रामायण व सुंदरकांड का पाठ दरबार मे किया गया। भाईजी सोनुजी जोशी ने ब्रह्मलीन गुरुजी का स्मरण करते हुए कहा की वे श्री बालाजी महाराज के अनन्य भक्त व वचन सिद्ध महापुरुष थे। उनपर श्री बालाजी महाराज की अपार कृपा थी व उनके द्वारा यहाँ श्री चौधरीवास धाम की स्थापना भी श्री हनुमान जी का साक्षात दृष्टांत व चमत्कार का ही प्रतीक है। उनके संरक्षण में भारतवर्ष में अनेक दरबार स्थापित कर पावन ज्योत जगाई गयी व असंख्य लोगों को उन्होंने भक्ति का मार्ग प्रशस्त कर भगवत सेवा व लोक सेवा की राह दिखाई। उनके बताए हुए मार्ग सहज व सरल है जिससे कोई भी भक्त सच्ची श्रद्धा से श्री हनुमान महाप्रभु की कृपा का पात्र बन सकता है। उन्होंने यहाँ श्री चौधरीवास धाम संकटमोचन देवस्थान की स्थापना कर यहां की भूमि व जन मानस को धन्य किया है जिससे असंख्य लोगों के कष्टों व संकटो का निवारण यहाँ श्री बालाजी महाराज की कृपा से संभव हुआ है। जो भक्त सच्चे विश्वास के साथ यहाँ आता है उसकी मनोकामना श्री बालाजी महाराज की कृपा से श्री गुरुजी महाराज अवश्य पूरी करते है। व आज भी अपने भक्तों को स्वयं दर्शन भी देते है। इस पावन दिवस पर सैंकड़ो लोगों द्वारा अपने घर से ही पूज्य गुरूवर को श्रद्धांजलि स्वरूप संदेश अनेक डिजिटल माध्यमों द्वारा प्राप्त किये गए।