संवाददाता।पूर्णिया
कोरोना महामारी के कारण हुए लाॅकडाउन में लोक कलाकारों की सुधी लेने वाला कोई भी नहीं है। बिहार के कला मंत्री के घोषणा नेताओं की भाषण की तरह है। जो कभी पूरी हो ही नहीं सकती है। कला मंत्री को कला और कलाकार का मोल ही पता नहीं है तो वे कलाकार की भावना को क्या समझेंगे। उक्त बातें पूर्णिया के रंगकर्मी शिवाजी राम राव ने कही। उन्होंने बताया कि कला क्षेत्र में लोक कलाओं के संरक्षण और उनके संवर्धन काफी समय स चल रहा है। इसके के विकास के नारे नेताओं के भाषण की तरह हर तरफ दिखाई देते हैं। विलुप्त होती लोक कला को बचाने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च करती है। लेकिन दुख की बात है कि आर्थिक रुप से कमजोर होेते कलाकार खुद विलुप्त होने के कगार पर है, उसे बचाने के लिए सरकार ने आज तक कोई ठोस कदम नही उठाया है। कला और कलाकार क्या है यह बात सरकार आज तक समझ ही नहीं पाई है। सरकार कलाकारो के लिए कोई मापदंड आज तक तैयार नहीं कर पायी है। रंगकर्मी शिवाजी राम राव ने बताया कि आज से लगभग 7 साल पहले कला क्षेत्र में बेहतर पढ़ाई के लिए शिक्षा ऋण के लिए जिला के विभिन्न बैंको का चक्कर काटा पर कहीं भी कला क्षेत्र में पढ़ाई के लिए बैंको द्वारा शिक्षा ऋण की व्यवस्था नहीं है। लेकिन इन विधाओं से जुड़े कलाकारों को बचाने में सरकार नाकाम साबित हो रही है। उक्त बातें कला भवन नाट्य विभाग के रंगकर्मी अंजनी श्रीवास्तव ने कही। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार विलुप्त होती लोक कला एवं लोक नृत्य को बचाने में सरकार करोड़ों रुपया खर्च करती है। उसी प्रकार ऐसे कलाकारों के जीवन को संवारने में भी करनी चाहिए। इससे कला और कलाकार दोनों की जिंदगी संवर जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि शहर से लेकर ग्रामीण स्तर तक के सरकारी विद्यालयों में कला मित्र अथवा रंग मित्र का पद सृजित कर कलाकारों को स्थायी रोजगार देेने की व्यवस्था करनी चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कलाकारों के अनुभवो और विभिन्न संस्थओं द्वारा प्राप्त प्रमाण पत्र धारक को डिग्री के समतुल्य अधिकार देना चाहिए। साथ ही शिवाजी राम राव ने यह भी मांग की है राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में लोक कला और लोक नृत्य के अनुभवी कलाकार की नियुक्ती होनी चाहिए। ताकि बच्चों को अपने विरासत में मिली लोक कला की जानकारी मिल सके और उसे आगे बढ़ाया जा सके।
शहर के कलाकारों ने मुहिम तेज करते हुए शिक्षा मित्र की तरह ही कला मित्र अथवा रंगमित्र पद के सृजन करने की मांग की है। राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में उनको भी रोजगार मिल सके। जिससे कलाकार अपने जीवन को संवारने के साथ साथ कला और संस्कृति का जीवत रख सके। मांग करने वाले कलाकारों में सुषमा कुमारी, दिलीप कुमार, उमेश आदित्य, अमित कुमार, अमित वमार्, आदित्य कुमार, आरजू, रंजना, बादल, दीपक, किशोर सिन्हा, कृष्ण मोहन, पंकज कुमार, राज सोनी, सागर दास, संजय कुमार, संजीत कुमार, शशिकांत, सुमन कुमार, सुनील सुमन, विवेक कुमार, कुंदन सिंह, मंतोष कुमार, प्रवीण कुमार, ज्योत्सना कुमारी, आकाशदीप, अभिमन्यु, गरिमा कुमारी, श्वेता स्वराज, राम पुकार टुटू, संजय कुमार, राज रोशन, मुकेश कुमार सिन्हा, पप्पू कुमार, सिंपी सिंह रमाशंकर सोनी आदि दर्जनों स्थानीय कलाकार शामिल हैं।