पशुओं को पीने के लिए नहीं मिल रहा है पानी कम पड़ रहे हैं ड्रैगन टॉब

पशुओं को पीने के लिए नहीं मिल रहा है पानी कम पड़ रहे हैं ड्रैगन टॉब

पहाड़ी गांव में जल संकट गहराने से सोन तटीय क्षेत्रों में पशुओं के साथ पलायन कर रहे हैं पशुपालक

पशुओं को पानी पीने के लिए बनाए गए हैं मात्र 11 ड्रैगन टॉब

डेहरी संवाददाता। जैसे-जैसे गर्मी का तापमान बढ़ते जा रहा है वैसे वैसे जल संकट गहराता जा रहा है। प्री मानसून के कारण 2 दिनों की बरसात के पश्चात लोगों ने राहत की सांस लिया था। वहीं एक बार फिर से मौसम का पारा चढ़ने लगा है और पहाड़ी गाँव में जल संकट गहराने से पशु पक्षियों के जीवन पर भी संकट उत्पन्न हो गया है। रोहतास नौहट्टा प्रखंड के पहाड़ी गांव में रहने वाले लोगों के जीविका का मुख्य साधन पशुपालन है पशुपालन के सहारे सैकड़ों गांव के लोगों की रोजी रोटी चलती है और दूध उत्पादन कार वह शहर में बेचते हैं। परंतु गर्मी के कारण पशुओं को पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है। जिससे पशुपालक को के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है। नदी नाले झील झरना तालाब सभी
को सूखने के कारण पानी के लिए पशुओं इधर उधर भटक रही है। परंतु मिलो चलने के बाद भी पशुओं को पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है। जिससे कई पशुओं की मौत हो गई है

पलायन कर रहे हैं पशुपालक
पहाड़ी गांव में जल संकट गहराने से पशुओं के पीने के लिए पानी नहीं मिलने के कारण पशुपालक अपने पशुओं के लेकर सोन तटीय क्षेत्रों की ओर पलायन करने को विवश हैं। पशुपालक अपने पशुओं के साथ पहाड़ी गांव से नीचे उतर रहे हैं और सोन तटीय क्षेत्र में अपना बसेरा बना रहे हैं। जहां उनके पशुओं को पीने के लिए पानी मिल सके और अपनी पशुओं की वह जीवन बचा सकें। गर्मी के मौसम के बाद पशुपालक पुनः अपने पशुओं के लेकर अपने गांव में लौटेंगे। गर्मी के कारण पशुओं को खाने के चारे की भी किल्लत हो गई है । पहाड़ों पर बरसात एवं सर्दी के मौसम में पर्याप्त हरी घास और चारा आसानी से मिल जाता है वही गर्मी के मौसम में नहीं मिल पाता है।

नाकाफी है सरकार की योजना

पहाड़ी गांव में प्रत्येक वर्ष उत्पन्न होने वाले पानी की संकट को देखते हुए सरकार के द्वारा पशुओं को पानी पिलाने के लिए ड्रैगन टॉब बनाने का निर्णय लिया गया था और रोहतास जिले के पहाड़ी गांव में मात्र 11 ड्रैगन टॉब बनाए गए हैं। जो पशुओं को पानी पीने के लिए बहुत कम है। पहाड़ों पर 150 से अधिक गांव है। गांव में रहने वाले ग्रामीणों की मुख्य पेशा पशुपालन है। पशुपालन के द्वारा ही अपनी जीविका चलाते हैं और परिवार का भरण पोषण करने के साथ बच्चों की पढ़ाई कराते हैं। 30,000 से अधिक दुधारू पशुओं है जिसे पशुओं को पानी पिलाना संभव नहीं है। पशुओं को पानी पिलाने के लिए सरकार के निर्देश पर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण के द्वारा नोहटा प्रखंड में नो शिवसागर में एक और चुनरी में एक ड्रैगन टपका निर्माण किया गया है जहां पशुपालक अपने पशुओं को ले जाकर पानी पिला सके।
कहते हैं ग्रामीण
तिऊरा खुर्द पंचायत के पूर्व मुखिया नंदू यादव,धनसा निवासी मुद्रिका पासवान नागा टोली निवासी विजय उराव ने बताया कि प्रत्येक वर्ष पहाड़ी गांव में पानी की संकट उत्पन्न हो जाती है। नदी नाले तालाब सभी सुख जाते हैं। जिसके बाद पशुओं को पीने के लिए पानी नहीं मिलता है। ग्रामीणों को पीने के लिए पानी तो टैंकरों से पहुंचाया जाता है परंतु पशु प्यासी रह जाती है। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के द्वारा मात्र 11 ड्रैगन टॉब तैयार किया गया है जो नकाफी है। इस परिस्थिति में प्यास से पशु पक्षियों के प्राण पखेरू उड़ने लगते हैं। पशुपालक अपने पशुओं का जीवन बचाने के लिए सोन नदी के तटीय क्षेत्रों में पलायन करते हैं और गर्मी भर उधर ही अपनी पशुओं को लेकर रहते हैं। ताकि पशुओं को चारा के साथ पीने का पानी भी मिल सके। वर्षा ऋतु शुरू होने पर पशुपालक अपने पशुओं के लेकर अपने गांव लौटते हैं। सरकार के द्वारा प्रत्येक गांव में ड्रैगन टॉब के निर्माण कराने का कार्य करना चाहिए। जिससे गर्मी के मौसम में पशुओं को पीने के लिए पानी मिल सके। पशुपालन ही हमारी जीविका का मुख्य साधन है। पहाड़ी गांव में नहीं तो कल कारखाने है और ना ही कोई व्यापार का केंद्र है। भूमि भी है तो बंजर जहां पेट भरने पर भी अनाज नहीं उगाया जाता है।

कहते हैं अधिकारी
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के सहायक अभियंता सुकान्त कुमार ने बतायाकी विभाग के निर्देश पर ड्रैगन टॉब का निर्माण कराया गया था। वर्तमान समय में सरकार से नये टब के निर्माण करने का आदेश प्राप्त नहीं हुआ है ।सरकार का आदेश प्राप्त होने पर और भी ड्रैगन ट्रैब के निर्माण कराए जाएंगे।

किन-किन गांव में निर्माण कराए गए हैं ड्रेगन टॉब
नागा टोली- 1
धानसा -1
बुधुआ -1
भवनतालाब-1
ऊचैला-1
हासदी-1
बांडा-1
रेहल-1
नौहट्टा-1
शिवसागर-1
चेनारी-1

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