डेहरी संवाददाता । बन लगाओ जीवन बचाओ— सरकार की यह स्लोगल अब केवल कागजों तक ही सिमट कर रह गई है। धरातल पर इसका कहीं अता पता नहीं है। एक तरफ सरकार के द्वारा जल जीवन हरियाली योजना चलाई जा रही है और प्रत्येक वर्ष लाखों वृक्ष लगाए जा रहे हैं। परंतु वृक्षों की देखभाल एवं उन्हें बचाने में वन विभाग अक्षम साबित हो रहा है। जिसके कारण लगाए गए पेड़ सूख कर नष्ट हो रहे हैं। लगातार सूख रहे पेड़ों के बावजूद भी विभाग की नींद नहीं खुल रही है। यह बताने की जरूरत नहीं कि पर्यावरण के लिए पेड़-पौधों का होना कितना जरूरी है। पेड़-पौधे हरियाली कायम कर पर्यावरण को संतुलित करते हैं। जो मानव स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। पर मानव ही वर्तमान में पर्यावरण का दुश्मन बन बैठा है। जिले में हर साल 70 से 80 हजार पौधे लगाए जाते हैं। पिछले 15 सालों में लगभग 10 लाख पौधे लगाए गए, लेकिन धरातल पर गिनती के पौधे ही बचे। अव्वल तो देखरेख ऊपर से सुरक्षा की समुचित व्यवस्था न होने के चलते पौधे खत्म होते गए। पौधों के न बचने की सूरत में पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को तगड़ा झटका लगता नजर आ रहा है।
दूसरी ओर हरे पेड़ों की कटाई पर भी कारगर रोक नहीं है। वन विभाग भले ही दावा करे कि हरे पेड़ों की कटाई बंद है। पर यह पूरी तरह सत्य नहीं है। पुलिस और विभाग की मिलीभगत से पेड़ों की कटाई बदस्तूर जारी है। खास बात यह कि पौधों को बड़े पैमाने पर रोपित करके रिकार्ड तो बनाया जाता है। लेकिन, रिकार्ड के मुकाबले उसकी सुरक्षा को लेकर एक फीसदी भी संजीदगी नहीं दिखाई जाती। इससे पौधों को उगाने और उसको लगवाने में खर्च मेहनत और धन बेकार हो जाता है। अनुमंडल पदाधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण आज जरूरी है और सरकार के द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं लगाए गए वृक्षों की बचाना सब की जवाबदेही है। वन विभाग के अधिकारियों का भी यह जिम्मेदारी है कि जो वृक्ष लगाए गए हैं उन्हें सूखने ना दें तथा समय पर पानी देने के साथ देखभाल करते रहें। उन्होंने बताया कि मनरेगा के माध्यम से लगाए गए वृक्षों को भी सूचित करने का आदेश दिया गया है।