मोगा : [कैप्टन सुभाष चंद्र शर्मा प्रभारी संपादक पंजाब] :=
एसोसिएशन ऑफ कंसल्टेंट्स फॉर ओवरसीज स्टडीज (एकॉस) के मालवा इंचार्ज और एक्जीक्यूटिव देवप्रिय त्यागी ने प्रैस नोट जारी करते बताया कि कोवैक्सीन को केवल इसलिए निशाना बनाया जा रहा है कि यह शुद्ध रूप से भारतीय कंपनी भारत बायोटेक द्वारा बनाई गई है। हमारी सभी देशों के दूतावसों से आग्रह है कि किसी भी तरह की वीजा एप्लीकेशन में कोरोना एंटीबॉडी टेस्ट को प्राथमिकता देनी चाहिए ना की कौन सी वैक्सीन अभ्यर्थी ने लगवाई है। क्योंकि सभी तरह की वैक्सीन इमरजेंसी मान्यता के बाद ही लगाई जा रही है। आज की तारीख में बच्चों में बड़ी कंफ्यूजन है कि कौन सी वैक्सीन विदेश में जाने के लिए मान्य है। इसमें कई जगह परेशानी भी आ रही है क्योंकि सारी वैक्सीन हर क्षेत्र में उपलब्ध नहीं है और कहीं प्रोडक्शन की वजह से कमी भी है। आखिर वैक्सीन हम लोग क्यों लगवा रहे हैं कोरोना एंटीबॉडीज के लिए ताकि करोना हमें ना हो, तो उससे क्या फर्क पड़ता है कि कौन सी वैक्सीन हमने लगवाई है।
हमारा प्रधानमंत्री मोदी जी से और विदेश मंत्रालय से निवेदन है कि तुरंत ही इस मामले में हस्ताक्षेप किया जाए और सभी दूतावासों को और डब्ल्यूएचओ को सूचित किया जाए कि वीजा एप्लीकेशन में कोरोना एंटीबॉडी टेस्ट को प्राथमिकता दी जाए, चाहे वैक्सीन सर्टिफिकेट किसी भी इमरजेंसी मान्यता प्राप्त कंपनी का हो।