हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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छाया- विरेन्द्र छिन्दा।
कविता- खाकी
रचयिता – डॉ. अशोक कुमार वर्मा।
कुरुक्षेत्र :- आश है खाकी।
विश्वास है खाकी।
निर्बल का बल है खाकी।
जन जन की सुरक्षा है खाकी।
सीमाओं की प्रहरी है खाकी।
अपराधियों का भय है खाकी।
सेवा है खाकी।
सुरक्षा है खाकी।
सहयोग है खाकी।
अपराधियों पर अंकुश है खाकी।
आदर्श समाज का प्रतिबिंब है खाकी।
करुणा दया और न्याय है खाकी।
सकारात्मक सोच है खाकी।
त्याग और बलिदान है खाकी।
तन का गौरव है खाकी।
प्रत्येक संकट का निदान है खाकी।
दिन और रात कर्तव्य का निर्वहन है खाकी।
फिर भी बदनाम है खाकी।
कविता रचियता डॉ. अशोक वर्मा हरियाणा पुलिस विभाग में अधिकारी है जिनका जीवन समाजसेवा, पर्यावरण सुरक्षा,रक्तदान शिविरों का आयोजन व स्वयं भी अपनी उम्र से कई गुणा ज्यादा रक्तदान किया व नशा मुक्ति अभियान में समर्पित है।