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सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन इंडिया द्वारा विश्व सागर दिवस पर व्याख्यान का आयोजन।
कुरुक्षेत्र, 8 जून : सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन इंडिया कुरुक्षेत्र एवं नैशनल अकादमी ऑफ़ साइंसेज इंडिया की चंडीगढ़ श्रृंखला के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विज्ञान परिषद् व विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग भारत सरकार के सौजन्य से विश्व सागर दिवस पर व्याख्यान के लिए जियोलाजिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष एवं एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड के सदस्य प्रो. हर्ष गुप्ता को आमंत्रित किया गया। सुनामी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा के समुद्र के तल पर प्लेट्स के लगातार खिसकने से भारी मात्रा में ऊर्जा का भंडार बन जाता है। जिसके कारण भूकंप बनते हैं और वह पानी के अंदर सुनामी को पैदा करते हैं। जैसे-जैसे यह तट की ओर बढ़ता है, सुनामी की तरंग दैर्ध्य और वेग कम हो जाता है। प्रो.गुप्ता ने बताया कि विश्व स्तर पर भूकंप ऊर्जा का 75 प्रतिशत परिधि-प्रशांत क्षेत्र में, लगभग 20 प्रतिशत अल्पाइन-हिमालय बेल्ट में और शेष 5 प्रतिशत मध्य-महासागर की लहरों और अन्य स्थिर महाद्वीपीय क्षेत्र भूकंपों के माध्यम से होता है। गलत संचेतकों के कारण सामान्य जीवन में अत्यधिक असुविधा और व्यवधानों को देखते हुए विशेष रूप से हिंद महासागर में तटीय क्षेत्रों में उच्च जनसंख्या घनत्व और गहन संचालन को देखते हुए और पूर्वानुमान में लगातार सुधार करने के लिए सुनामी चेतावनी जारी करने के विज्ञान में सुधार करना अधिक महत्वपूर्ण है। भारत ने 30 महीने के कम समय में अत्याधुनिक सुनामी और तूफान की चेतावनी क्षमता स्थापित करने के लिए एक बहुत ही महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की। यह अगस्त 2007 के अंत तक हासिल किया गया था और 12 सितंबर 2007 के भूकंप द्वारा परीक्षण किया गया था। पिछले 14 वर्षों में सिस्टम ने बहुत कुशलता से काम किया है। अब इस दुनिया में सर्वश्रेष्ठ के बीच मूल्यांकन किया जाता है। व्याख्यान का समन्वय पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अरुण ग्रोवर, सोसाइटी के अध्यक्ष आई.ए.एस. सेवानिवृत्त धर्मवीर, जी.जे.यू. हिसार के पर्यावरण विभाग प्रोफेसर आर. भास्कर, सोसायटी की महासचिव प्रो. केया धर्मवीर एवं संयुक्त सचिव रजनी भल्ला, मैनेजर अनुज गोयल एवं संयोजक महिपाल शर्मा ने किया।
विश्व सागर दिवस पर व्याख्यान में भाग लेते हुए विद्वान।