प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस पर महिलाओं की जांच
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के तहत बुधवार को जिले के सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस का आयोजन कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए किया गया। इस दौरान चिकित्सकों द्वारा दूसरे व तीसरे माह की गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण के साथ ही डायविटीज, हीमोग्लोबिन, एचआईवी जांच करने के अलावा सेहत पर विशेष ध्यान देने का सुझाव दिया गया। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान भारत सरकार की एक पहल है, इसमें हर महीने की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं की पूर्ण जाँच की जाती है। जिसके द्वारा ये पता लगाया जाता है कि कहीं कोई गर्भवती महिला उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था में तो नहीं। इसके तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हसेरन में पीएमएसएमए के लाभार्थियों की ग्रुप काउंसलिंग की गई। प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ जगदीश निर्मल ने बताया 45 गर्भवती महिलाओं का परीक्षण किया गया , जिनमे से 4 महिलाओं को उच्च जोखिम वाली गर्भवस्था में रखा गया है जिनका खून 7 मिलीग्राम से कम था। उनको आयरन सुकरोज के इंजेक्शन लगाये गए जिससे उनमे आई खून की कमी को दूर किया जा सके | साथ ही आयरन,कैल्शियम की गोलियों सहित आवश्यक दवाएं भी वितरण के साथ कोविड-19 से बचाव के बारे में भी जानकारी दी गई । उन्होंने कहा की जो महिलाएं एचआरपी (हाई रिस्क प्रेग्नेंसी) चिन्हित हुई है, प्रसव होने तक उनको विशेष निरीक्षण में रखा जाएगा, तथा वह संस्थागत प्रसव ही कराये, इसके लिए उनके परिवार को समझाया जाएगा। डा.निर्मल ने कहा कि कोरोना वायरस काफी खतरनाक है।इस दौरान गर्भवती महिलाओं को भी अपनी खास ख्याल रखने की जरूरत है। क्योंकि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का इम्यून सिस्टम काफी कमजोर हो जाता है. ऐसे में संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए कोरोना से डरें नहीं बल्कि सजगता से कोरोना से बचाव करें। खांसी के दौरान अपने मुंह को ढ़क कर रखें व बीमार लोगों से बिल्कुल भी न मिलें भीड़बचावः वाली जगहों पर न जाएं इसके साथ ही सम्भव हो तो यात्रा करने मे भी परहेज करें। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, हसेरन की स्त्री रोग विशेषज्ञ डा.आरती सिंह ने बताया कि अगर किसी महिला को पहले से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है तो ऐसे में उसे अपनी गर्भावस्था के दौरान सचेत रहने की जरूरत है। महिलाओं का हीमोग्लोबिन 11 से 14 एमजी के बीच होना चाहिए। एनिमिया (खून की कमी ) की वजह से उन्हें संक्रमण की संभावना ज्यादा रहती है। जिसकी वजह से समय से पहले डिलीवरी हो जाती है। इसलिए महिलाओं को संतुलित आहार लेना चाहिए। साथ ही कि गर्भ में जुड़वा या इससे अधिक शिशु पलना, गर्भावस्था के दौरान अत्याधिक रक्तस्त्राव, गर्भाशय की विकृति या असामान्यता, धूम्रपान व मादक पदार्थों ड्रग्स का सेवन, प्रेग्नेंसी इंड्यूस्ड डायबिटीज, ज्यादा वजन होना इत्यादि भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के लक्षण हैं |
इस दौरान डा. विकास वर्मा, ए.आर.ओ. वीरपाल सिंह , ए.एन.एम. सोनम मिश्रा, वीसीपीएम विवेक कुमार ,सत्य प्रकाश तथा गर्भवती महिलाएं मौजूद रहीं|