प्रखंड रिपोर्टर -विक्रम कुमार
कसबा हिंदू धर्म के अनुसार वट सावित्री पूजन का अलग महत्व है। यह व्रत पति की दीर्घायु होने के लिए किया जाता है। आज ही के दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति का प्राण वापस लिया था। यमराज ने चना के रूप में प्राण वापस किया था।
बुधवार को कसबा नगर परिषद सहित पंचायतो में वट सावित्री पूजन मनाया जा रहा है। कोरोना काल के बावजूद न सिर्फ मंदिरों में सुबह से ही महिला भक्तों की भीड़ लगी हुई है, बल्कि वट वृक्ष की भी धूमधाम से पूजा की जा रही है। इस बार वट सावित्री पूजन के दिन सूर्यग्रण के साथ-साथ शनि जयंती भी है। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए करती है।
पंडित अशोक कुमार झा
के अनुसार, इस व्रत को जेठ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन अपने मृत पति को पुनः जीवन प्रदान करने के लिए सावित्री ने यमराज से प्रार्थना की थी।इस प्रार्थना से प्रभावित होकर यमराज ने सत्यवान के प्राण लौटा दिए थे। इसी के साथ यमराज ने सावित्री को तीन वरदान भी दिए। इन्हीं वरदान के सहारे सावित्री ने अपनी पति को जीवित करवा दिया था। ऐसी मान्यता है कि सत्यवान के प्राण यमराज ने चने के रूप में वापस किए थे। सावित्री ने इस चने को अपने पति के मुंह में रख दिया, जिससे सत्यवान जीवित हो गए। यही कारण है कि इस पर्व में चना का विशेष महत्व है।