निगम चुनाव: दलबदल का दौर शिखरों पर
राजनीति के क्षेत्र में भाग्य आजमाने की लगी होड़
👉 संकट काल में भी दल बदल : जोरों पर
👉 दल बदलने उपरांत मातृ पार्टी की हो रही बुराई: अति निंदनीय
👉जनता की आवाज
राजनीतिक पार्टियों से दल बदल करने वालों पर कसें नकेल : कम से कम तीन साल तक पार्टी में रहने उपरांत ही चुनाव लड़ने का हो प्रावधान
चंडीगढ़ : [कैप्टन सुभाष चंद्र शर्मा प्रभारी संपादक पंजाब] :=
निगम चुनाव घोषित होते ही तकरीबन सभी राजनीतिक पार्टियों की सर्गमियां तेज हो गई हैं।एक ओर प्रकृति के दंश की मार झेल रहे हैं। कारोना महांमारी एवं संक्रमण रोगों से जान माल एवं देश की अर्थव्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित है। लगतार किसानों एवं अन्य वर्गों द्वारा कृषि कानूनों हेतु संघर्ष चल रहा है। इस संकट की घड़ी में सभी बुद्धिजीवी वर्ग एवं राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को मिल कर उक्त समास्या के समाधान हेतु विचार विमर्श करके समाधान करना चाहिए।
निगम चुनाव घोषित होते ही बुद्धिजीवी राजनेता पार्टियों की गिरती साख को देखते हुए पार्टी दलबदल कर रहे हैं। कुछ बुद्धिजीवी राजनेता राजनीति के क्षेत्र में भाग्य आजमाने की चाहत में व्यस्त हैं। जिस मातृ राजनीतिक पार्टी का गुणगान करते हुए कभी थकते नहीं थे एवं प्रशंसा के सदैव हवाई पुल बनाते थे। आजकल उसी पार्टी की बुराई करते हुए सांस तक नहीं लेते। राजनीतिक पार्टियाँ भी दल बदलू लोगों को चुनाव मैदान में उतारने हेतु बहुत ही सोच विचार कर निर्णय ले रहीं हैं। बुद्धिजीवी वर्ग के मतानुसार कृषि विरोधी कानून हेतु आंदोलन शीघ्र ही समाप्त होना चाहिए अन्यथा गंभीर दुष्परिणाम सामने आने के आसार नजर आ रहें हैं। सरकार एवं किसान नेताओं की आपसी सहमति से बनने से ही उक्त समास्या का समाधान शीघ्र हो सकता है।