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अंशी के जन्मदिन पर पिता डॉ. अरुण धीमान ने किया 23 वीं बार रक्तदान ।
पिता से प्रेरित होकर पुत्र अक्षय वर्मा ने किया चौथी बार रक्तदान ।
कुरुक्षेत्र :- राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित, राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता, डायमंड रक्तदाता एवं पर्यावरण प्रहरी डॉ अशोक कुमार वर्मा द्वारा लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में 353 वां स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित किया। शिविर में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुष्यंत चौधरी मुख्यातिथि के रूप में पधारे हुए थे। भारतीय संचार निगम लिमिटेड से सेवानिवृत अधीक्षण अभियंता विधुत सतपाल कल्याण और राजकीय रेलवे पुलिस कुरुक्षेत्र के प्रभारी पवन कुमार अति विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। रक्त कोष प्रभारी डॉ. रमा की अध्यक्षता में रक्तदान शिविर आयोजित किया गया. मुख्य अतिथि दुष्यंत चौधरी ने कहा कि रक्तदान अति पुण्य का कार्य है और उन्होंने शिविर संयोजक डॉ. अशोक कुमार वर्मा के कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि रक्तदान न केवल महादान है अपितु एक मानव का दूसरे मानव के लिए जीवन बचाने का साधन भी है। शिविर की अध्यक्षता कर रहे सतपाल कल्याण ने स्वयं 23 वीं बार रक्तदान करते हुए कहा कि सभी को ऐसा पुण्य का कार्य करते रहना चाहिए। शिविर संयोजक डॉ. अशोक कुमार वर्मा ने सभी अतिथियों और रक्तदाताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सभी के सहयोग से ही रक्तदान जैसा पुण्य का कार्य संभव हो रहा है। उन्होंने बताया कि शिविर में 25 से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया लेकिन स्वास्थ्य दृष्टि से 21 लोगों का ही रक्तदान हो सका. उन्होंने बताया कि डॉ. अरुण धीमान ने अपनी सुपुत्रों अंशी के जन्मदिन पर रक्तदान किया है. शिविर में सहायक उप निरीक्षक सतीश कुमार ने 25 वीं बार, हरीश, डॉ. अरुण धीमान, नरेश कुमार ने 22वीं बार, सतपाल कल्याण 23वीं बार, राहुल और रोबिन ने 5वीं बार, अक्षय वर्मा ने चौथी बार, सुरजीत ने दूसरी बार, प्रीतम सिंह, गौरव कुमार, सलिंद्र कुमार, पप्पू, सहायक उप निरीक्षक अवतार सिंह,अनिल गोयल, राजेश कुमार, दलजीत सिंह, नितीश कुमार, रोबिन वर्मा, राहुल, अजय पुनिया तथा इनसे अतिरिक्त मोहन लाल अनेक बार रक्तदान क्र चुके हैं. डॉ. वर्मा ने सभी रक्तदाताओं का उत्साहवर्धन किया और प्रशंसा पत्र वितरित करते हुए कहा कि आज वे पिछले 32 वर्षों से रक्तदान के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं, परिणामस्वरूप रक्तदान के लिए लोगों में सुई का डर समाप्त हुआ है।