संवाददाता:-विकास तिवारी
अम्बेडकर नगर।।देश के साथ ही समूचे विश्व में हिंदी भाषी और सनातनधर्मियों के मध्य रामायण गुरु के नाम से सुप्रसिद्ध रामायण और भारतीय दर्शन के विद्वान राजेन्द्र अरुण मिश्र का सोमवार को मॉरीशस में निधन हो गया। वे जनपद के जहांगीरगंज थाना क्षेत्र के नरवांपिताम्बरपुर गांव के निवासी थे। राजेन्द्र अरुण के निधन से पूरे जनपद में शोक की लहर व्याप्त हो गई।
जनपद के जहांगीरगंज थाना क्षेत्र के नरवांपिताम्बरपुर गांव निवासी लगभग 76 वर्षीय राजेन्द्र अरुण पुत्र स्व. हौसिला मिश्र का निधन सोमवार को मॉरीशस में हो गया। पैरालिसिस होने के कारण पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती रहे राजेन्द्र अरुण सुधार होने के बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर के आए थे, मगर सोमवार को सुबह लगभग 09:00 बजे उनका देहांत हो गया। उनके बड़े पुत्र का नाम अनुराग मिश्र तथा छोटे पुत्र का नाम आशु मिश्र है। दोनों बेटे कनाडा में रहते हैं।
परास्नातक के बाद हिंदी भाषा के प्रचार में जुट गए: 26 जुलाई 1945 को जन्मे राजेंद्र अरुण प्रयाग विश्वविद्यालय से हिदी व पत्रकारिता से परास्नातक करने के बाद 1970 से ही हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में जुटे रहे। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सानिध्य में कई हिदी समाचार पत्रों व पत्रिकाओं में पत्रकारिता के दायित्वों का निर्वहन किया। इलाहाबाद से प्रकाशित जनता की आवाज के प्रधान संपादक बने और 1973 में विश्व पत्रकारिता सम्मेलन में भाग लेने मॉरीशस गए। वहां, हिदी भाषा का खूब प्रचार-प्रसार किया। इससे प्रभावित होकर वहां के तत्कालीन राष्ट्रपति शिवसागर राम गुलाम ने संसद में कानून बनाकर हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए रामायण सेंटर की स्थापना कर दी और हिदी अकादमी एवं रामायण सेंटर का अरुण को अध्यक्ष बना दिया। इसके अलावा वे डॉ. सर शिवसागर रामगुलाम के हिन्दी पत्र ‘जनता के सम्पादक बने। राजेन्द्र अरुण ने वहां रहते हुए ‘समाचार यू.एन.आई. और ‘हिन्दुस्तान समाचार जैसी न्यूज एजेंसियों के संवाददाता के रूप में भी काम किया।
गांव में भी रामायण सेंटर स्थापित की: मॉरीशस में रहते हुए भी वे अपने गांव घर से जुड़े रहे। उन्होंने नरवांपिताम्बरपुर गांव में भी रामायण सेंटर की स्थापना की है। इसके अलावा वे बराबर आते रहते थे। राजेंद्र अरुण मॉरीशस समेत पूरे विश्व में राम नाम की धुनी रमाए हुए थे। मॉरीशस, अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड व भारत समेत विभिन्न देशों में स्कूल-कालेजों में छात्रों के बीच जाकर प्रभु राम के आदर्श, मानव हित में किए गए कार्यों, नैतिक मूल्यों का ज्ञान देते थे। वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के साथ इलाहाबाद में एक ही कमरे में सात वर्षों तक साथ रहे थे।
विश्व भर में पढ़ी जा रही हैं पुस्तकें: राजेन्द्र अरुण ने रामायण पर दर्जनों पुस्तकें भी लिखीं हैं, जो पूरे विश्व में पढ़ी और पसन्द की जाती हैं। उनके द्वारा लिखी गयी रोम रोम में राम, तजु संशय भजु राम, जग जननी जानकी, मानस में नारी, भरत गुन गाथा, अथ कैकयी कथा, रघुकुल रीति सदा, भारत सेल्फिश सोल, सीता द डिवाइन मदर, दशरथ मैन आफ वर्ड्स, हनुमान ओसेन आफ डीवोसेन पूरे विश्व में पढ़ी जा रही हैं।