एम एन बादल
आज पूर्णियाँ जिले के अम्बेडकर सेवा सदन में संत कबीरदास की जयंती मनाई गई जिसमें किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक नियाज अहमद सहित किसान संघर्ष समन्वय समिति, पूर्णियाँ के सदस्यों ने भाग लिया कार्यक्रम की अध्यक्षता शम्भु प्रसाद दास ने की तथा संचालन किसान संघर्ष समन्वय समिति के वरिष्ठ सदस्य हरिलाल पासवान ने की।
कार्यक्रम मे उपस्थित किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक नियाज अहमद ने कबीर दास जी को याद करते हुए कहा कि वो न सिर्फ एक कवि थे बल्कि एक महान समाज सुधारक के भी थे। कबीर दास ने अपने सम्पूर्ण जीवन को समाज में हो रहे अत्याचारों और कुरीतिओं को ख़त्म के लिए लगा दिया था। देश के विकास के लिए इन्होने कई कार्य किये जो देश के लिए वरदान के रूप मे सामने आए। कबीर दास जी ने अपने जीवन के अंतिम पल तक अपने इरादो पर झुटे रहे और सभी के कल्याण के लिए अपना जीवन तक न्योछावर कर दिया।
अम्बेडकर सेवा सदन पूर्णियाँ के संस्थापक सदस्य शम्भु प्रसाद दास ने कबीर दास जी को याद करते हुए कहा कि कबीर दास जी बहुत गहरी मानवीयता और सह्रदयता के कवि थे। अक्खड़ता और निर्भयता को उनके कवच के रूप मे माना जाता है। कबीर दास मे ह्रदय में मानवीय करुणा, निरीहता, जगत के सौन्दर्य को महुसूस करने वाला हृदय कबीर दास जी के पास विद्यमान था। ये कवि के साथ-साथ चित्रिण भी करते थे।
मौके पर उपस्थित किसान संघर्ष समन्वय समिति के वरिष्ठ सदस्य मोहम्मद ईस्लामुद्दीन ने कबीर जी को याद करते हुए कहा कि कबीर एक ऐसे व्यक्ति थे। जिन्होने अपने जीवन मे कभी-भी शास्त्र का अध्ययन नहीं किया फिर भी सबसे श्रेष्ठ तथा सर्वोपरी ज्ञानी थे। इन्हे एक फकीर के रूप मे तथा एक समाज सुधारक के रूप मे भी जाना जाता है।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे किसान संघर्ष समन्वय समिति के वरिष्ठ सदस्य हरिलाल पासवान ने कहा कि कबीरदास का व्यक्तित्व भक्ति, प्रेम तथा मानवता की विभिन्न धाराओं में बहा, जिसने उनकी जीवनप्रद वाणी को साहित्य की अतुल संपत्ति बना दिया । हिंदी साहित्य के हजार वर्षों के बीच कबीर जैसा व्यक्तित्व पैदा नहीं हुआ ।
मौके पर विजय उड़ाँव, प्रदीप पासवान, सुशीला भारती,समसुल खान, यमुना मुरमुर, तबारक हुसैन, योगेंद्र राम, दिगंबर भारती, निपू पासवान आदि उपस्थित थे।