, अजमेर
अज़मेर जिला कलेक्टर के भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के जिला अध्य्क्ष शफ़ीक़ खान के बताया कि जब से कोगेस सरकार के द्वारा अल्पसंख्यक मामलात विभाग के तहत व अन्य विभागों के तहत आने वाले तमाम निगम बोडों में गत दो वर्षों से विकास के कार्य नहीं हो रहे हैं। सरकारी योजनाओं के कार्य बन्द पड़े हैं।
इसके तहत सबसे पहला उदाहरण अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति बन्द कर दी गई जिससे उनके शिक्षण कार्य पर विपरित असर पड़ रहा है जिस कारण कई छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ चुके हैं। अल्पसंख्यक छात्रों के लिए हायर एजूकेशन लॉन बन्द कर दिये गये हैं, जिससे छात्र देश एवं विदेश में जाकर अपनी एजूकेशन को पूरा नहीं कर पा रहे हैं
राजस्थान वक्फ बोर्ड ने अपनी अनेको सम्पत्तियों में से कुल 60 सम्पत्तियों को चिन्हित किया गया है, जिसमें से 4 का किराया आ रहा है। इनमें से 34 वक्फ सम्पत्तियों का पी.डब्ल्यू.डी. द्वारा किराया निर्धारण कर दिया गया है। जिसका लगभग 21 करोड़ रूपये राज्य सरकार में बकाया चल रहा है। ए.सी.एस. और सी. एस. स्तर पर भी विभागों को किराया अदा करने के पत्र लिखे गये है, परन्तु सरकार द्वारा अभी तक इस विषय में कोई ध्यान नहीं दिया गया है। जबकि सरकार का चाहे कि सभी वक्फ सम्पत्तियों को चिन्हित कर तुरन्त किराया निर्धारण करें। राज्य सरकार द्वारा सभी प्रकार की छात्रवृत्तियां पूर्णतया बन्द है। निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था भी। गत 2 वर्षों में बन्द कर दी गई है।
केन्द्र के द्वारा राज्य सरकार को जो धन भेजा गया राज्य सरकार उसे अपने नाम से बाढ़ रही है जिसका विवरण निम्न प्रकार है उसमें से पोस्ट मैट्रिक में 51949 छात्रों को 3872 लाख रुपये मैरिट कम मीन्स में 6749 छात्रों को 1854 लाख रुपये दिये गये बिजनेस लोन 483 लाख रुपये व हायर एजुकेशन लोन 268 छात्रों का 354 लाख रुपये दिये गये। इन सब का राज्य सरकार से कोई लेना देना नहीं है।
आर.पी.एस.सी. में सदस्य बनाये जाने के दौरान भी मुस्लिम समाज की अनदेखी की गई। उर्दू भाषा को तृतीय भाषा के रूप में मान्यता समाप्त करने की तैयारी
गत दो वर्षों में अल्पसंख्यकों से जुड़े निगम व बोड़ों का सफर के फार्म भरना भी चालू हो चुके
गठन नहीं किया गया। जबकि हज जैसे
• मुकद्दस है। अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम की तमाम गतिविधियों पर विराम ।।
सरकार ने अपने मंत्रीमण्डल में अल्पसंख्यकों को कम महत्व का विभाग दे रखा है, वो भी एक अल्पसंख्यक मामलात विभाग।
मदरसा बोर्ड को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद भी कोई प्रगति नहीं।
मदरसों में शिक्षा सामग्री व खेल सामग्री का वितरण बंद है।
वर्तमान समय में कोरोनाकाल में प्रदेश की सरकार ने सभी शिक्षण संस्थाओं में ऑनलाईन शिक्षण की व्यवस्था की गई है। जबकि मदरसों को ऑनलाईन व्यवस्था से वंचित रखा गया है। जिससे 2.5 लाख अल्पसंख्यक बच्चों का भविष्य अंधकार में डूबने के कगार पर है।
मदरसा पैरा टीचर्स का नियमन नहीं किया गया है।
मेवात विकास बोर्ड का गठन नहीं होने से क्षेत्र के तमाम विकास कार्य ठप पड़े हैं।
वक्फ विकास परिषद भी अपना वजूद खोती जा रही है।
अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम के कार्यों का गत 2 वर्षों से कोई अता-पता नहीं है। अल्पसंख्यक वर्ग के प्रशासनिक अधिकारी को भी फील्ड पोस्टिंग नहीं दी गई।
पूरे प्रदेश में महिलाओं पर अत्याचार बढे हैं व कानून व्यवस्था लड़खड़ा रही है।
हाल ही में 6 निगमों जयपुर, जोधपुर एवं कोटा में हुए चुनाव में भारी तादाद में अल्पसंख्यक पार्षद विजय होने के बावजूद मुस्लिम समाज को दरकिनार किया, मेयर पद से वंचित कर दिया।
मदरसों की स्थितियों में सुधार करते हुए आधुनिक तकनीक से जोड़ा जाना आवश्यक है। मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की भारी कमी है, जिसमें प्रभावी प्रयास किए जाने नितान्त आवश्यक हैं। योग्य मदरसों में आधारभूत संरचना की भी भारी कमी है, मदरसों में शौचालयों की स्थिति बड़ी चिंता जनक
है, जिसका प्रभाव सीधा बच्चों के स्वाथ्य पर पड़ता है। सरकार द्वारा चलाई जा रही अल्पसंख्यक छात्रों के लिए छात्रवृति योजना के अंतर्गत छात्र सीमा को छात्रों को छात्रवृत्ति का लाभ मिलना चाहिए।
हटा कर सभी अल्पसंख्यक अल्पसंख्यक छात्रों को कोचिंग हेतु छात्रवृति यादि योजनाओं का व्यवस्थित क्रियान्वयन नहीं होने के परिणाम स्वरूप समुचित लग नहीं मिल पा रहा है। अल्पसंख्यक छात्रों की फ्री कोचिंग के लिए
राज्य सरकार कोचिंग संस्थानों की सूची तैयार कर उसमें अल्पसंख्यक छात्रों को दाखिले दिलाने का प्रयास करे, जो सुविधा एस.सी.-एस.टी. के छात्रों को दी जाती है, वही सुविधा अल्पसंख्यक छात्र छात्राओं को दी जाये।
राज्य में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति हेतु व्यवस्थित नीति के अभाव में उर्दू शिक्षकों की भारी कमी के कारण इस विषय के अध्ययन से छात्र वंचित हो रहे हैं। अतः उर्दू शिक्षकों के रिक्त पदों को तुरन्त प्रभाव से भरा जाये ताकि योजनाओं का क्रियान्वयन सुचारू रूप से हो सके।
केन्द्र सरकार की घूमन्तु सूची में कलंदर, मीरासी, फकीर जातियां भी घूमन्तु श्रेणी में आती है, लेकिन राजस्थान सरकार की घूमन्तु श्रेणी में उनका नाम नहीं है। सरकार द्वारा उनका नाम भी घूमन्तु श्रेणी की सूची में जोड़ा जाये, जिससे की वह भी घूमन्तु श्रेणी के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं
का फायदा उठा सकें।
पैराटीचर योजना को रिवाईज किया जाना परम आवश्यक है ताकि इनकी उपयोगिता सार्थक हो सके, वरना पिछले सालों से यह समस्या भवावह होती जा रही है।
मुस्लिम समाज की उपरोक्त समस्याओं का तुरंत समाधान करें एवं जिस निगम एवं बोर्ड के प्रभावी कार्य नहीं हो रहे हैं, वहां तुरंत उचित कार्यवाही की जाये। चाहे वो अल्पसंख्यक मामलात विभाग हो या अन्य कोई और विभाग से सम्बन्धित हो।
आज भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के पदाधिकारियों ने जिला कलेक्टर को राजस्थान के मुख्य मंत्री अशोक गहलोत के नाम ज्ञापन दिया गया ।