हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र :- 25 जून, शुक्रवार के सितारे ब्रह्मा और वर्धमान योग बना रहे हैं। आयुर्वेद के प्रमुख आचार्य चरक, सुश्रुत और वागभट्ट ने इस महीने को ऋतुओं का संधिकाल कहा है। यानी ये मौसम परिवर्तन का समय होता है।
आयुर्वेद के मुताबिक आषाढ़ महीने के दौरान फंगस रोग बढ़ने लगते हैं। जिससे बचने के लिए नीम, लौंग, दालचीनी, हल्दी और लहसुन का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए। इनके साथ ही त्रिफला चूर्ण को गरम पानी के साथ लेना चाहिए और गिलोय, सौंफ, हींग, आम, जामुन खाना चाहिए।
विशेष :-
आषाढ़ महीना 25 जून से 24 जुलाई तक रहेगा। इस महीने में पांच शुक्रवार और पांच शनिवार रहेंगे। इस दौरान ज्यादातर दिनों में मंगल और शनि की प्रतियुति रहेगी। इन ग्रहों के आमने-सामने होने की वजह से देश में कई जगह ज्यादा बारिश होगी।
स्कंद पुराण के मुताबिक आषाढ़ महीने में भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि इस महीने के देवता भगवान वामन ही हैं।
आषाढ़ महीने के दौरान सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र ग्रह राशि बदलेंगे। इन 4 ग्रहों की चाल में बदलाव का असर देश-दुनिया सहित 12 राशियों पर भी होगा। इन ग्रहों के अलावा बृहस्पति, शनि और राहु-केतु की चाल में बदलाव नहीं होगा। गुरु कुंभ राशि में वक्री ही रहेंगे। शनि अपनी ही राशि यानी मकर में वक्री रहेंगे। इन दो ग्रहों की टेढ़ी चाल की वजह से अनचाहे बदलाव का सामना करना पड़ेगा।