एम एन बादल
आज किसान संघर्ष समन्वय समिति, पूर्णियाँ द्वारा किसान आंदोलन के 7 महिने पूरे होने पर खेती बचाओ लोकतंत्र बचाओ दिवस के रूप में मनाया गया साथ ही साथ भारत में किसान आंदोलन के जनक स्वामी सहजानंद सरस्वती की 71 वीं पूण्यतिथि भी मानाई गई कार्यक्रम का नेतृत्व किसान संघर्ष समन्वय समिति, पूर्णियाँ के संयोजक नियाज अहमद कर रहे थे।
खेती बचाओ लोकतंत्र बचाओ दिवस कि शुरुआत आर.एन. साह चौक स्थित शहीद अजीत सरकार के प्रतिमा के समक्ष किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की 71 वीं पूण्यतिथि पर किसान संघर्ष समन्वय समिति, पूर्णियाँ के सदस्यों द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दे कर की गई उसके पश्चात शहर के मुख्य चौराहा आर.एन.साह चौक पर किसान संघर्ष समन्वय समिति के सदस्यों ने हाथों पर काला बिल्ला लगाकर किसान आंदोलन के समर्थन एवं तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की उसके बाद विरोध स्वरूप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पूतला जालाया।
कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक नियाज अहमद ने इस अवसर पर कहा कि बीते सात महीनों में मौसम बदल गया,कंपकंपाती सर्दी मे शुरू हुआ ये आंदोलन लु लगा देने वाली तपती गर्मी में भी किसानों के हौसले को नहीं तोड़ पायी किसानों ने सड़कों पर लगे तंबुओं और ट्रॉलियों को ही अपना घर बना लिया है. सात महीने में 600 से ज्यादा किसानों ने दिल्ली बाॅडर पर आंदोलन करते हुए अपनी शहादत दे दी मगर किसानों के हौसले अब भी बुलंद हैं किसान अपने घरों को तब तक वापस नहीं जाएंगे जब तक तीनों कृषि कानून सरकार वापस नहीं ले लेती ये आंदोलन आज़ाद भारत का सबसे बड़ा और लंबा किसान आंदोलन बन चुका है अगर केंद्र सरकार ने किसानों की मांगें नहीं मांगी तो ये आंदोलन सरकार की ताबूत की आखिरी कील साबित होगी।
मौके पर उपस्थित अखिल भारतीय किसान महासभा के पूर्णियाँ जिला अध्यक्ष मोहम्मद ईस्लामुद्दीन ने इस मौके पर मंडी व्यवस्था की चर्चा करते हुए कहा कि मंडी व्यवस्था में कमियां थीं. बिल्कुल ठीक तर्क है. किसान भी कह रहे हैं कि कमियां हैं तो ठीक कीजिए. मंडियों में किसान इंतजार इसलिए भी करता है क्योंकि पर्याप्त संख्या में मंडियां नहीं हैं. आप नई मंडियां बनाएं. नियम के अनुसार, हर 5 किमी के रेडियस में एक मंडी होनी चाहिए अभी वर्तमान में देश में कुल 7000 मंडियां हैं, लेकिन जरूरत 42000 मंडियों की है. बिहार में भी मंडी व्यवस्था खत्म कर यहाँ के किसानों की कमर तोड़ दी गई जिसका जिता जागता उदाहरण है कि सरकार द्वारा मक्के का निर्धारित दर 1860 पर कोई भी किसान इस बार मकई नहीं बेच सका।
मौके पर उपस्थित अविनाश पासवान ने कहा कि आज सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है. कृषि सुधार के नाम पर किसानों को निजी बाजार के हवाले कर रही है. हाल ही में देश के बड़े पूंजीपतियों ने रीटेल ट्रेड में आने के लिए कंपनियों का अधिग्रहण किया है. सबको पता है कि पूंजी से भरे ये लोग एक समानांतर मजबूत बाजार खड़ा कर देंगे. बची हुई मंडियां इनके प्रभाव के आगे खत्म होने लगेंगी. ठीक वैसे ही जैसे मजबूत निजी टेलीकॉम कंपनियों के आगे बीएसएनल समाप्त हो गई. इसके साथ ही एमएसपी की पूरी व्यवस्था धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी. कारण है कि मंडियां ही एमएसपी को सुनिश्चित करती हैं. फिर किसान औने-पौने दाम पर फसल बेचेगा. सरकार बंधन से मुक्त हो जाएगी.
मौके पर उपस्थित यमुना मुरमुर ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम अपने रोटियों को अनाजों को चंद पूंजीपतियों के तिजोरियों मे बंद नहीं होने देगें। हमारी रोटियों को ये सरकार चंद पूंजीपतियों के तिजोरियों मे बंद करना चाहती है हम उसे कामयाब नहीं होने देंगे।
इस कार्यक्रम में चन्दन कुमार, महिंद्र राम, अरविंद पांडे, प्रिया देवी, दिव्या देवी, विभा देवी, पार्वती देवी, मोहम्मद सकुर, मोहम्मद कयूम, निर्मला देवी, कामेश्वर ऋषि, अनीता देवी, तबारक हुसैन ,बुद्धिनाथ शाह, अरविंद पांडे, रामचंद्र गुप्ता, शमशुल हक ,जावेद आलम ,मनोज यादव, शशि कुमार, हरी लाल पासवान आदि समेत जिले के विभिन्न स्थानों से आए किसानों ने भाग लिया