हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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लुधियाना :- अग्रवाल कोई धर्म नही जिसे हर कोई अपना सके। अग्रवाल के घर मे तभी जन्म मिलता है जब परिवार पर कुलदेवी महालक्ष्मी जी , कुल पिता अग्रवंश के संस्थापक महाराज अग्रसैन व कुल माता माधवी जी का आशीर्वाद होता है। श्री अग्रोहा धाम में ही कुल पिता महाराज अग्रसैन जी को उनकी तपस्या से खुश होकर महालक्ष्मी जी ने तीन बार साक्षात दर्शन दिए थे और वरदान दिया था कि अग्रवाल समाज को किसी किस्म की कमी नही रहेगी। इसके अलावा कुल पिता महाराज अग्रसैन जी के 18 सपुत्रो के नाम पर हमारे गोत्र है और हमारा वंश श्री राम जी के परिवार से है। करीब 5225 साल पहले जब महाभारत का कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध हुआ था तब महाराज अग्रसैन जी 16 साल के थे। उस समय पांडबो के साथ इनके पिता श्री वल्लभ सैन जी ने युद्ध मे हिस्सा लिया और वीरगति को प्राप्त हुए थे। इसके बाद काफी सँघर्ष के बाद महाराज जी ने अग्रोहा शहर को बसाया और एक ईंट -एक रुपया देने की रीत चलाई ताकि जो भो लोग श्री अग्रोहा शहर में रहने के लिए आते उन्हें पूरा समाज एक एक ईंट व एक एक रुपया देकर घर बनाने और कारोबार करने में मदद करते थे। महाराज अग्रसैन जी ने सबसे पहले पशुबलि को रोका और 18 वा हवन यज्ञ बिना पशुबलि सम्पन हुआ। इसी कारण हमारे साढ़े 17 गोत्र भी कहे जाते है। 18 गोत्र के अलावा 360 से ज्यादा अब अग्रवाल समाज के उपगोत्र भी है जो वैश्य (व्यापारी) के रूप में जाने जाते है। हमारे अग्रवाल समाज की उतपत्ति श्री अग्रोहा धाम की पवित्र धरती से हुई। महाराज अग्रसैन जी के 18 सपुत्रो के नाम पर हमारे गोत्र बने और अब हम सब इसके वंशज कहलाते है। यह तो हमारे विशाल अग्रवाल समाज का संक्षिप्त में मैने इतिहास का वर्णन किया है जबकि पूरे इतिहास को पढ़ने के लिये अगर्भागवत ग्रंथ और अन्य ग्रन्थ भी है जिन्हें पढंकर पता चलता है वास्तव में अग्रवाल सच मे एक ब्रांड है।
अब सवाल यह कि हमे श्री अग्रोहा धाम क्यों जाना चाहिये।
हर अग्रवाल समाज की तरफ से किसी भी खुशी या गमी के मौके पर बढ़े बढ़ेरो को उनकें निमित थाली निकालकर,या उनके निमित वस्त्र आदि दान करके उन्हें खुश करते थे ताकि उनका (बढ़े-बढ़ेरो ) का परिवार फलता फूलता रहे और वंश आगे बढ़ता रहे। चूंकि हम गृहस्थी है इसलिये कभी न कभी कोई न कोई बढ़े बढेरो की भूल चुके जाने अनजाने में हो जाती है जिस कारण बढ़े बढ़ेरे नाराज हो जाते है और हमारे कार्यो में छोटी छोटो अड़चने शुरू हो जाती है। घर मे सब कुछ है लेकिन बरकत नही। लड़का -लड़की के रिश्ते की बात चलती है बनते बनते रुक जाती है। घर मे बहु भी है और बच्चों की किलकारियां सुनने के लिए कान तरस रहे है। पंडित जी पित्र दोष बताते है और परिवार अशांत है। समझनकुच नही आता कि क्या करे। ऐसा मानना है कि अगर आप इस तरह की किसी भी समस्या से परेशान है तो आपको सिर्फ एक बार श्री अग्रोहा धाम की चौखट पर जरूर जाना चाहिये और वहाँ पर श्रद्धा से कुल देवी महालक्ष्मी जी के चरणों मे अरदास करने व कुल पिता महाराज अग्रसैन जी के दर्शन मात्र से ही आपके कष्ट दूर होने की शुरुआत हो जाती है। इसके अलावा श्री अग्रोहा धाम स्थित शक्ति पीठ में जब आप कुलपिता अग्रसैन जी, माता माधवी जी व अपने गोत्र के मालिक के चरणों मे बैठ कर उनका आषीर्वाद लेते है तो वह रमणीक पल आपके सभी कष्ट दूर करने में सहायक होतें है। मेरे साथ तो लगभग हर बस में कई तरह के प्रमाण सुनने को मिलते है कि हम पहली बार गए थे और मन्नत मांग कर आये थे आते ही काम हो गया अब कुलदेवी का धन्यवाद करने जा रहे है आदि। इसलिये हम अग्रवाल है और हमे जिंदगी में खुद और अपने बड़े बुजर्गो को कम से कम एक बार जरूर श्री अग्रोहा धाम के दर्शनोंके लिए जाना चाहिए। अपने बच्चों को भो अग्रवाल समाज के गौरवमय इतिहास से परिचित करवाना भी हमारी ही जिम्मेवारी है। इसलिए मेरा सभी से निवेदन है कि सिर्फ एक बार मेरे कहने से दर्शन करके आओ फिर आप खुद ही जाने लगोगे यह मेरा विश्वास है। धन्यवाद सहित
आपका अपना और अग्रवाल समाज का सेवादार सुनील जैन मित्तल, स्टेट प्रेजिडेंट, अग्रवाल परिवार मिलन संघ रजि. पंजाब, लुधियाना दूरभाष – 98885 35509,