नसबंदी है बहुत सुरक्षित और आसान, स्वास्थ्य पर नहीं पड़ता कोई दुष्प्रभाव
जिले में 31 जुलाई तक चलने वाले जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े के तहत मंगलवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सौरिख में नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें तीन महिलाओं की नसबंदी हुई ।
केन्द्र के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजहर सिद्दीकी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से नसबंदी कराने वाली महिलाओं को दो हजार रुपए प्रोत्साहन राशि के रूप में दिये जाते हैं। यह राशि लाभार्थी के खाते में सीधे भेजी जाती हैं। इसके अलावा नसबंदी से पूर्व सभी महिलाओं के कोरोना टेस्ट किये गये। रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही उनकी नसबंदी की गयी। शिविर में कोविड-19 प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया गया। डॉ सिद्दीकी ने कहा कि सीमित परिवार और बेहतर स्वास्थ्य के लिए पति-पत्नी दोनों की सहभागिता जरूरी हैं। ऐसे में पुरुषों की यह नैतिक जिम्मेदारी भी है कि वह आगे बढ़कर नसबंदी को अपनाएं। महिलाएं तो अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं लेकिन पुरुष पिछड़ रहे हैं, जबकि पुरुष नसबंदी महिला नसबंदी की तुलना में काफी आसान और सुरक्षित है । यह प्रक्रिया बिना चीरा एवं टांके के आधे घंटे से कम समय में पूरी हो जाती हैं। उसके बाद लाभार्थी आराम से घर जा सकते हैं। नसबंदी से व्यक्ति के शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता वह पूर्व की भांति स्वस्थ एवं शक्तिवान रहता है ।
नसबंदी की सेवा अपनाने वाली सोनम(काल्पनिक नाम) ने कहा कि मेरे दो बच्चे हैं, मैं अब और बच्चे नहीं चाहती। इसमें मेरे पति की भी सहमति है । इसलिए परिवार की बेहतरी व बच्चों के सुदृढ़ भविष्य के लिए यह फैसला लिया। नसबंदी के बाद मुझे किसी प्रकार का कोई दर्द या तकलीफ नहीं हैं। मैं बेहद खुश व स्वस्थ हूं।