“जालौन और झांसी जिले को जोड़ती बेतवा नदी कल-कल बहती हुई अपनी ओर आकर्षित कर रही है और इसी स्थान पर बना जागेश्वर धाम अपनी अलौकिक छटा बिखेर रहा है, भगवान शिव की अद्भुत शिवलिंग लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है, इस धाम के बारे में जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक करीब 30 साल पहले जनपद जालौन के पिरौना के रहने वाले धर्मदास को यहां भगवान शिव की उपस्थिति का आभास हुआ और उन्होंने यहां आकर देखा तो उस समय यहां पर जंगल ही जंगल था और नदी के किनारे एक शिवलिंग दिखाई दिया, धर्मदास जी अपना घर-बार छोड़कर भगवान शिव की आराधना में जुट गए, हालांकि कुछ समय बाद यहां पर खनन माफियाओं की नजर पड़ी तो मलेशिया की एक कंपनी ने यहां पर जमीन समतल करने का ठेका लिया, लेकिन कुछ समय बाद उनका असली मकसद सामने आया कि वह जमीन समतल करने के बहाने यहां से बेशकीमती पत्थर और बालू दूसरी जगह बेचकर मालामाल होने में जुट गए, इसी बात को लेकर मलेशिया की कंपनी और बाबा धर्मदास में सीधी भिड़ंत हो गई और कुछ समय बाद मलेशिया की कंपनी को यहां से बोरिया बिस्तर समेट कर बापस लौटना पड़ा, इस क्षेत्र को पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए सन् 2012-13 में तत्कालीन सपा सरकार द्वारा 5 करोड़ रुपए की लागत से एक डैम स्वीकृत किया गया था परन्तु राजनीतिक अड़चनों के चलते योजना परवान नहीं चढ़ पाई, और अब 2021 में भाजपा की सरकार द्वारा दोबारा से इस स्थान को पर्यटन के मानचित्र पर लाने और आसपास के सैकड़ों गांवों की प्यास बुझाने के लिए नमामि गंगे परियोजना के तहत एक डैम बनाया जा रहा है और इसके लिए जिले की प्रभारी मंत्री नीलिमा कटियार ने विधिवत पूजन कर कार्य शुभारंभ करवाया है, इस डैम के बनने के बाद निश्चित तौर पर आसपास के करीब 300 गांवों में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है”