भिक्षा पात्र तो भरा जा सकता है परंतु इच्छा पात्र कभी नहीं भरा जा सकता: परमहंस ज्ञानेश्वर जी महाराज।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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संतोष में ही परम सुख है: महन्त महेश मुनि।
अवधूत आश्रम कुरुक्षेत्र में विश्व कल्याण कॅरोना महामारी निवारण हेतू शतचंडी महायज्ञ का आज तीसरा दिन।
आश्रम में आज संतों द्वारा इच्छा पात्र विषय को लेकर हुई चर्चा।
महायज्ञ में आज भारत साधुसमाज के प्रदेशाध्यक्ष व अनेक आश्रमों के परमाध्यक्ष महन्त बंशी पुरी जी महाराज का भी हुआ आगमन।
कुरुक्षेत्र 23 जनवरी :- गीता की जन्मस्थली कुरुक्षेत्र के श्री अवधूत आश्रम पिहोवा रोड कुरुक्षेत्र में परम पूज्य सद गुरु श्री महानंद ‘अवधूत’ जी महाराज की अनुकम्पा से विश्व कल्याण कॅरोना महामारी निवारण हेतू आश्रम के संचालक षड्दर्शन साधुसमाज के अध्यक्ष परमहंस ज्ञानेश्वर जी महाराज के सानिध्य में शतचण्डी महायज्ञ के आज तीसरे दिन सत्संग में संतों द्वारा भिक्षा पात्र और इच्छा पात्र विषय को लेकर चर्चा हुई जिसमे परमहंस ज्ञानेश्वर जी महाराज ने बताया कि भिक्षा पात्र तो भरा जा सकता है परन्तु इच्छा पात्र कभी भी नही भरा जा सकता
आज जिस गति से विश्व मे इच्छाओं की पूर्ति के लिए इंसान छल कपट पाप कर्म कर रहा है उस पाप कर्म का भुगतान भी उसे स्वयं ही करना पड़ता है।
इस विषय को लेकर सभी संतों ने अपने अपने विचार रखे। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के महन्त महेश मुनि ने भी अपने विचार रखे उन्होंने कहा कि इंसान को कर्म करना चाहिए फल की इच्छा कभी भी नही करनी चाहिए यही भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की भूमि पर अपने मुख से कहा था।
उन्होंने कहा कि संतोष में ही परम सुख है।
आश्रम परिसर में प्रतिदिन भजन संध्या सांयकाल को हो रही है और संत विद्वान ब्राह्मण जनकल्याण हित के लिए अपने अपने विचार प्रगट करते है । इस महायज्ञ अनुष्ठान में संत महात्मा भी शिरकत कर रहे है।
महायज्ञ में यज्ञाचार्य सोमदत्त भारद्वाज गोहाना ओर उनके साथ वेदाचार्य ब्राह्मण पूर्ण शुद्धता विधिविधान से यज्ञ का कार्य कर रहे है।
यज्ञ में काशी विश्वनाथ की नगरी से वासुदेवाचार्य जी भी भाग ले रहे है।