बिहार:सी-मैम कार्यक्रम के तहत एएनएम के लिए एक दिवसीय उन्मुखीकरण सह कार्यशाला का आयोजन

बच्चों में गंभीर कुपोषण की समस्या को दूर करना परिवार की जिम्मेदारी: संजय कुमार
-गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को पौष्टिक आहार लेना अतिआवश्यक: मेघा

पूर्णिया संवाददाता

उचित पोषण के अभाव में गर्भवती महिलाएं ख़ुद किसी न किसी रोग ग्रस्त तो होती ही हैं साथ ही होने वाले नवजात शिशुओं को भी कमजोर और रोग ग्रस्त बना देती हैं। क्योंकि अक्सर देखा गया कि महिलाएं पूरे परिवार को खाना खिलाने के बाद शेष बचे रूखा-सूखा खाना खाकर भूख को मिटा देती हैं, जो गर्भवती महिलाओं के लिए अपर्याप्त होता है। जबकिं सही आहार उचित समय पर नहीं मिलने के कारण गर्भस्थ शिशु कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। इसको लेकर कॉम्प्रेहेंसिव मैनेजमेंट फ़ॉर एक्यूट मालन्यूट्रिशन (CMAM) कार्यक्रम के तहत एक दिवसीय उन्मुखीकरण सह कार्यशाला का आयोजन सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा के दिशा-निर्देश के आलोक में कृत्यानंद नगर स्थित स्वास्थ्य केंद्र के सभागार में किया गया। प्रशिक्षण के दौरान एएनएम को बताया गया कि संवर्धन प्रोग्राम का मासिक प्रतिवेदन ससमय उपलब्ध कराना, एचएमआईएस के इंडिकेटर के अनुसार प्रतिवेदन देना सुनिश्चित करना है। बच्चों में होने वाली गंभीर जटिलताओं की जांच के बाद उसको स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र या पोषण पुनर्वास केंद्र भेजे जाने की बात कही गई। समुदाय में बच्चों की देखभाल की जानकारी के लिए प्रशिक्षण दिया गया।

कार्यशाला में सभी एएनएम शामिल हुईं। कार्यशाला का आयोजन यूनिसेफ के तकनीकी एवं वित्तीय सहयोग से स्वास्थ्य विभाग के नेतृत्व एवं आईसीडीएस, जीविका, पीएमसीएच पटना में गंभीर तीव्र कुपोषण का प्रबंधन के लिए कार्य करने वाली संस्था सीओई (आईएम-एसएएम) के सहयोग किया गया। जिसमें स्थानीय स्तर की सभी एएनएम शामिल हुईं। प्रशिक्षक के रूप में स्वास्थ्य कार्यकर्ता संजय कुमार, सीमैम की ओर से मेघा सिंह, विकाश कुमार, ज्योति कुमारी व रीता सिंह के अलावा इस अवसर पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शशि चंद्र झा एवं बीसीएम कंचन कुमारी सहित सभी एएनएम उपस्थित थी।

बच्चों में गंभीर कुपोषण की समस्या को दूर करना परिवार की जिम्मेदारी: संजय कुमार
प्रशिक्षक के रूप में आये स्वास्थ्य कार्यकर्ता संजय कुमार ने उपस्थित एएनएम को समुदाय आधारित गंभीर कुपोषण को व्यापक स्तर पर बताया कि उन्मुखीकरण कार्यशाला का मुख्य केंद्र बिंदु ‘पोषण और इसका प्रबंधन’ है। इसकी भूमिका को विस्तार पूर्वक बताया गया। इसका प्रबंधन समुदाय में हो या फेसिलीटी (NRC) में संस्थागत हो। क्योंकि सामुदायिक स्तर पर छोटे-छोटे बच्चों में गंभीर कुपोषण की समस्या को दूर करने की जिम्मेदारी समुदाय स्तर की होती है। क्योंकि अधिकांश कुपोषित बच्चों को सामुदायिक स्तर या घर पर देखभाल ठीक से किया जाता है। अगर बच्चों को सही तरीके से उचित देखभाल किया जाए तो बहुत ही कम बच्चों को स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यकता पड़ेगी। सामाजिक एवं व्यवहारिक परिवर्तन जैसे- समुदाय-स्तर पर सलाह-परामर्श, वार्तालाप, मीडिया की सहभागिता एवं समर्थन, छोटे बच्चों के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध, पोषण-समृद्ध एवं खाद्य पदार्थों का उपयोग करना चाहिए।

गर्भवती महिलाओं व स्तनपान कराने वाली माताओं को पूरक पोषण लेने की जरूरत: मेघा
सी-मैम की सदस्य मेघा सिंह ने बताया गंभीर रूप से वेस्टेड बच्चों की मृत्यु की संभावना अधिक होती है क्योंकि सही पोषण की कमी से रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जो जीवित रह पाते हैं उनका पूर्णतः विकास नहीं हो पाता है। यदि बच्चों का वजन पर्याप्त रूप से बढ़ नहीं पाता या अपर्याप्त भोजन, अथवा डायरिया और श्वास जैसी बीमारियों के कारण उनका वजन कम हो जाता है, तो बच्चे वेस्टेड श्रेणी में आ जाते हैं। गंभीर रूप से वेस्टेड बच्चों की अधिक संख्या और अनुपात, गर्भ के समय महिलाओं के पोषण (खान-पान) की कमी, खराब स्तनपान और खानपान की आदतें, साफ-सफाई और स्वस्थ वातावरण की कमी, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और भोजन की असुरक्षा को दर्शाता है। कुपोषण की शिकार महिलाओं द्वारा कुपोषण से ग्रस्त बच्चों को जन्म देने की अधिक संभावना होती है। किशोरियों, गर्भवती महिलाएं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पूरक पोषण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। ताकि जन्म लेने वाला नवजात शिशु पूरी तरह से स्वस्थ व सुरक्षित हो।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

बिहार: ‘संवर्धन’ कार्यक्रम अति गंभीर कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने में बनेगा सूत्रधार

Thu Jul 22 , 2021
• लगभग 90 फीसद अति गंभीर कुपोषित बच्चे समुदाय आधारित देखभाल से हो सकते हैं स्वस्थ• अति गंभीर कुपोषित बच्चों में मृत्यु की संभावना सर्वाधिक•संवर्धन कार्यक्रम के लिए राज्य के 5 महत्वाकांक्षी जिलों में शामिल है कटिहार• आई.सी.डी.एस. एवं स्वास्थ्य विभाग की पहल• पिरामल स्वास्थ्य एवं यूनीसेफ सहित स्टेट सेंटर […]

You May Like

Breaking News

advertisement