आषाढ़ पूर्णिमा व गुरू पूर्णिमा कब हैं?जानें शुभ मुहुर्त,विशेष योग
संवाददाता:-विकास तिवारी
आलापुर(अम्बेडकर नगर)||विकास खण्ड जहाँगीरगंज के नरवांपिताम्बरपुर के निकट खिद्दीरपुर(बसन्तपुर छोटू)गाँव निवासी विदेशी सरजमीं माॅरीशस की धरती पर सनातन धर्म का ध्वजा फहरा रहे।आचार्य राकेश पाण्डेय ने बताया कि पूर्णिमा प्रतिवर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं।आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था।उन्होंने मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था और सभी पुराणों की रचना की थी।महर्षि वेद व्यास के योगदान को देखते हुए आषाढ़ पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा कहते हैं।इस दिन गुरू की पूजा की जाती हैं।इस वर्ष पूर्णिमा 24 जुलाई को हैं भारतीय सभ्यता में गुरू का विशेष महत्व हैं।प्रभु की कृपा की प्राप्ति का मार्ग गुरू के बताये मार्ग से ही सम्भव हैं शास्त्रों में लिखित हैं-
“गुरू बिना ज्ञानं न लभते”
अर्थात गुरू के बिना ज्ञान नहीं हो सकता-गुरू के बिना ज्ञान की कल्पना भी नहीं की जा सकती धार्मिक दृष्टि से इसदिन गुरू पूजन का विशेष महत्व हैं भारत में इस दिन को बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता हैं शास्त्रों पुराणों में भी गुरू के महत्व को बताया गया हैं।गुरू व्यक्ति को किसी भी विपरीत परिस्थितियों से बाहर निकल सकते हैं।गुरू पूर्णिमा के दिन महाकाव्य महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास जी का जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।वेद व्यास जी संस्कृत के महान ज्ञाता थे।18 पुराणों के रचयिता व्यास जी थे तथा वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी महर्षि वेद व्यास को दिया जाता हैं।
” गुरू पद रज मृदु मंजुल अंजन।
नयन अभिय दृग दोष विभंजन।।”
सद् गुरू के चरण रज को सुन्दर अंजन सदृश निज चक्ष में लगाने से दृष्टि दोष से मुक्ति प्राप्त होती हैं।
आषाढ़ पूर्णिमा या गुरू पूर्णिमा शुभ मुहुर्त-
आचार्य राकेश पाण्डेय ने बताया कि हृषिकेश पंचांग के अनुसार,आषाढ़ मास की पूर्णिमा 23 जुलाई को सुबह 09 बजकर 34 मिनट से शुरू होगी,जो कि 24 जुलाई की सुबह 7 बजकर 40मिनट तक रहेगी।
ध्यान दें-किसी भी पापाचार की प्रेरणा देखने के उपरोक्त ही होती हैं।गुरू कृपा से ही हमें दृष्टि दोष से मुक्ति मिलती हैं।