कोंच (जालौन) कोंच इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल के संस्थापक/संयोजक पारसमणि अग्रवाल के आह्वान पर महिलाओं द्वारा रंगोली सजाई गई एवं बन्दनवार बनाये गए
विदित हो कि कोंच इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल लोकसंस्कृति के सरंक्षण एवं सँवर्धन के लिए निरन्तर प्रत्यनशील है, फेस्टिवल के बैनरतले आह्वान किया गया था कि लोकसंस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ फ़िल्म फेस्टिवल को समर्पित करते हुए बन्दनवार बांधे और रंगोली सजाएँ इस आहवान पर दर्जनों नारी शक्ति द्वारा लोकसंस्कृति के सरंक्षण एवं सँवर्धन के प्रयास में सहभागिता की गई
फेस्टिवल के संस्थापक/संयोजक पारसमणि अग्रवाल ने बताया कि लोकजीवन में बन्दनवार और रंगोली बनाने का श्रेय महिलाओं को है इसलिए लोकपरंपराओं में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है लोक पारंपरिक दृष्टि से बन्दरवार हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है लोकगीतों में भी बन्दनवार का अनेकों बार जिक्र आता है गजरथ बाजी सजे नहीं,बंधी न बन्दरवार जैसे लोकगीत का सम्बंध बन्दरवार परम्परा से ही है
उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह परम्परा अतीत का हिस्सा बनती जा रही है लोक सांस्कृतिक कलाओं के प्रतीक बन्दरवार और रंगोली से संस्कारों, कलाओं,लोकपरम्परा आदि का सहज ही पता चल जाता था
फेस्टिवल के आह्वान पर निहारिका लखेरा,आरती साहू, जयश्री, शिवानी गुप्ता,अंजू अग्रवाल,वंदना गुप्ता, ऋतु गोयल,आस्था तिवारी, नैना श्रीवास्तव आदि ने बन्दनवार और रंगोली बनाई।