लेखक दिव्या बाजपेई
मां की ममता
माता-पिता की उंगली पकड़कर जीवन में चलना सीखा
मां बचपन में वो खेल खिलाती आंखों का तारा बन जाती है
मां की ममता हम सबकी प्यारी है
मां हमारी पाठशाला है जो हमें ज्ञान का पाठ पढ़ाती है
मां से हमने जन्म लिया मां हमारी जग जननी है
मां सूरज, चंदा है वह हम सबकी प्यारी है
आसमान के तारों में वह हमें ले जाती और खिलाती है
मां ,गंगा की वह धारा है जो निर्मम निरंतर बहती है
बचपन में जो गलती करती मां अपने आंचल में छुपाती है
मां की ममता हम सबके लिए सबसे प्यारी है
कभी हसाती कभी रुलाती कभी-कभी आंखों का तारा बन जाती है
मां की ममता हम सबकी प्यारी
मन के मंदिर में मां एक मूरत है
हम सब के लिए मेरी मां परमेश्वर से बढ़कर है
मेरी मां गीले बिस्तर पर मुझे सूखे में सुलाती है
मेरी मां हृदय की वह उत्कंठा है जो जीवन भर मुझे कुछ ना कुछ सिखाती है
जीवन के अच्छे बुरे कर्मों का हमें बोध कराती है
मां की ममता हम सबकी प्यारी है
हमें देख कर खुश होती दिन रात दुआएं करती है
मेरा बच्चा सत्य मार्ग पर चलें दिन-रात मुझसे यह कहती है
माता पिता का आशीर्वाद बना रहे जीवन सफल हो जाएगा
उनके चरणों में अनुराग रहे जीवन खुश मय हो जाएगा
मां के चरणों में वह अमृत है जीवन पर्यंत आशीर्वाद के रूप में बहता है