अपने बच्चे का टीकाकरण जरुर कराए ,टीकाकरण से ही हेपेटाइटिस का बचाव-डॉ.गीतम सिंह

कोरोना काल में अब तक लगभग 44 हजार बच्चों को लगा हेपेटाइटिस का टीका

संवाददाता दिव्या बाजपेई
कन्नौज / हेपेटाइटिस एक जानलेवा बीमारी है। इससे बचने के लिए हमें अपने बच्चे को हेपेटाइटिस की बर्थ खुराक दिलवानी होगी। तभी हम इस बीमारी से अपने बच्चे को सुरक्षित रख पाएंगे। यह कहना है जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डां गीतम सिंह का।
डॉ.सिंह ने कहा कि बच्चे को जन्म के तुरंत बाद ही हेपेटाइटिस का टीका लगाया जाता है। अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले ही यह टीका दिया जाता है। इसके अलावा पेंटा में भी हेपेटाइटिस का टीका होता है। जो डेढ़ माह, ढाई माह और साढ़े तीन माह पर दिया जाता है। संस्थागत प्रसव् होने की स्थिति में तो हेपेटाइटिस का टीका लग जाता है लेकिन किसी वजह से यदि प्रसव संस्थागत न हुआ हो तो हेपेटाइटिस के टीके के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें। डॉ सिंह ने कहा कि जब से कोरोना शुरू हुआ है तब से बच्चों का टीकाकरण भी प्रभावित हुआ लेकिन फिर भी हमारा प्रयास रहा है कि अधिक से अधिक बच्चों को टीका लग जाये | उन्होंने बताया कि जिले में अप्रैल 2020 से अब तक लगभग 44,500 बच्चों को हेपेटाइटिस का टीका लगा कर इस बीमारी से सुरक्षित किया गया |
हेपेटाइटिस एक खतरनाक और जानलेवा बीमारी है। हेपेटाइटिस के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे मनाने की शुरुआत वर्ष 2010 में की गयी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मई 2010 में 63वें विश्व स्वास्थ्य सम्मेलन के दौरान हेपेटाइटिस-बी वायरस के खोजकर्ता व नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. बारूच सैमुएल ब्लूमबर्ग के जन्मदिवस को ‘विश्व हेपेटाइटिस दिवस’ के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। तब से हर साल सम्पूर्ण विश्व में 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इस आयोजन का मकसद हेपेटाइटिस के प्रति लोगों को जागरूक करना है।
हर साल वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे की कोई न कोई थीम होती है। इस बार की थीम है ”हेपेटाइटिस कांट वेट” यानी कि हेपेटाइटिस अब इंतजार नहीं कर सकता। हेपेटाइटिस से लीवर में संक्रमण हो जाता है, लीवर में सूजन लीवर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। यह आमतौर पर वायरल संक्रमण के कारण होता है| लेकिन हेपेटाइटिस के अन्य संभावित कारण भी हैं| इनमें ऑटोइम्यून हेपिटाइटिस के अलावा वह हेपेटाइटिस शामिल हैं जो दवाओं विषाक्त पदार्थों और शराब के सेकेंडरी रिजल्ट के रूप में सामने आते हैं | ऑटोइम्यून हेपिटाइटिस एक ऐसी बीमारी है जब आपका शरीर आपके लीवर के ऊतकों के खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है| हेपेटाइटिस आमतौर पर पांच प्रकार के होते हैं जिनमें हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई शामिल है। हेपेटाइटिस के लक्षण
अनावश्यक थकान सिर में दर्द और हल्का बुखार त्वचा और आंखों का रंग पीला पड़ना पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
पेट में पानी भरना पाचन संबंधी समस्याएं और दस्त त्वचा में जलन, खुजली और लाल रंग के चकत्ते पड़ना
भूख न लगना, वजन में गिरावट
देर से पता लगने पर मुंह से खून आना
पीले रंग का पेशाब होना पैरों में सूजन होना l

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