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कुरुक्षेत्र, 30 जुलाई :- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संगीत एवं नृत्य विभाग द्वारा आयोजित संगीत कार्यशाला के दूसरे दिन का पहला सत्र नृत्य से संबंधित था। कार्यशाला के इस सत्र का संचालन डॉ. सीमा जौहरी द्वारा किया गया। विषय विशेषज्ञ व कथक की सुविख्यात कलाकार डॉ. शुभ्रा ने प्रतिभागियों को नृत्य के मूल सिद्धांत बताकर शुरुआत की।
उन्होंने कहा कि नृत्य सभी के लिए आवश्यक है, आधुनिक समय की भागदौड़ में नृत्य शारीरिक तथा मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए सहायक सिद्ध होगा। अभ्यास के महत्व को विद्यार्थियों के साथ साँझा करते हुए डॉ. शुभ्रा ने कहा की यह एक पवित्र साधना है जो की अभ्यास के बिना पूर्ण नहीं की जा सकती। उन्होंने कथक नृत्य को एक सुंदर चित्र के समान बताया जिसमें एक कलाकार की मुद्राएँ उसे सिद्ध तथा संपूर्ण करती है।
उन्होंने सिद्धि विनायक को नमन करते हुए गणेश परन सभी विद्यार्थियों को सिखाई। नृत्य की मूलभूत तकनीकों के साथ-साथ विभिन्न घरानों की विशेषताओं को भी परिलक्षित किया। रोचक चर्चाओं के बीच सत्र का समापन हुआ।
कार्यशाला का दूसरा सत्र तबला विषय से संबंधित था। डॉ. ज्ञान सागर ने सभी प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत करते हुए पिछले सत्र की विशेषताओं को दोबारा सभी से साँझा किया। तबला विशेषज्ञ डॉ. राहुल स्वर्णकार ने सभी प्रतिभागीयों को तबला के पेशकार की तकनीकी संरचना और उनकी घरानेदार विशेषताओं से संबंधित तथ्यों से छात्रों का ज्ञानवर्धन किया। इसके पश्चात उन्होंने उठान तथा पेशकार के बनारस, लखनऊ, फरुख़ाबाद आदि घरानों के बाजों के तकनीकी पक्षों पर विस्तार से चर्चा की तथा बढ़त, लय तथा इन्हें पेश करने के अलग-अलग तरीक़ों को बड़े ही रोचक ढंग से प्रतिभागियों को सिखाया।
इसके पश्चात् कार्यशाला के दूसरे सत्र में डॉ. पंडित हरविंदर शर्मा द्वारा सितार के मिलान के अलग-अलग तरीकों के बारे में जानकारी देते हुए राग श्री मालकौंस, बागेश्वरी इत्यादि रागों में किस प्रकार श्रुति के माध्यम से स्वर लगाए जाते हैं इत्यादि विषयों की जानकारी दी एवं विभिन्न तरीकों से सितार में श्रुतियों को किस प्रकार रागो के माध्यम से लगाया जाता है उनके बारे में जानकारी दी। इसके साथ-साथ सुगम संगीत को सितार पर शास्त्रीय संगीत मे कैसे बजाया जाए इसकी भी जानकारी दी। कार्यशाला में लगभग 40 से अधिक विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं अध्यापकों ने भाग लिया।
कार्यशाला के चौथे सत्र में गायन के कालांश में प्रोफेसर यशपाल शर्मा ने कंठ साधना विषय पर जानकारी प्रदान की। उन्होंने सुगम संगीत में विभिन्न प्रकार की कंठ ध्वनियों में वैविध्य, रियाज़ के ढंग इत्यादि विषयों पर चर्चा की। इस सत्र का संचालन डॉ. सुशील द्वारा किया गया। इसके पश्चात डॉ. रवि गौतम ने साउंड रिकॉर्डिंग व रिकॉर्डिंग से संबंधित विभिन्न उपकरणों के बारे में जानकारी दी तथा विभिन्न स्पीकर्स हेडफोन्स, ऑडियो इंटरफ़ेस, मिक्सिंग इत्यादि के संदर्भ में विस्तार से जानकारी प्रदान की। कार्यशाला के इस सत्र का संचालन डॉ. मुनीश ने किया।