वी वी न्यूज़ तिर्वा तहसील संवाददाता अवनीश कुमार तिवारी
साधारण गेहूं चावल की अपेक्षा काले गेहूं-चावल की खेती में 10 गुना मुनाफा मिल रहा है।डाइबटीज में भी खाया जा सकता है यह काला चावल, गेहूं कैंसर रोधी है।खास बात यह इसको उगाने के लिए खाद की आवश्यकता नही पड़ती हैं।किसान जैविक माध्यम से इसकी खेती कर सकते है।जिससे यह हानिकारक नही है।उपनिदेशक कृषि ने भी की किसान हरवंत सिंह की तारीफ, चंदौली जिले से मिली खेती करने की जानकारी।कन्नौज के बहादुरपुर मुरैया के रहने वाले है किसान, औसर में करते खेती करते हैं।
कन्नौज जनपद के तिर्वा तहसील क्षेत्र के बहादूरपुर मुरैया के रहने वाले किसान ने काले गेहूं और काले चावल के बारे में अन्य किसानों के लिए जानकारी दी जिसकी तारीफ कृषि उपनिदेश आर एन सिंह ने भी की।किसान हरिनाथ सिंह ने बताया कि चंदौली में रहने वालों किसानों ने काले गेंहू और चावल की खेती के बारे में बताया और मुझे भी खेती करने के लिए कहा तभी हमने पहले थोड़ी जगह पर इसकी खेती की तो मुझे फायदा हुआ। जिसके बाद 10 एकड़ में किया तो और फायदा हुआ। आम चावल से 10 गुना अधिक लाभ होता है।वही अन्य किसानों भी इस फसल को आसानी से कर सकते हैं।इसमे कोई विशेष लागत भी नहीं लगती हैं।इससे सालाना डेढ़ लाख की बचत भी हो जाती हैं।
वही कृषि उपनिदेश का कहना है कि यह जिले में किसानों के लिए नई चीज है,इनका कृषि उत्पाद संगठन भी बना हुआ है।जिसके माध्यम से बीज को लाये और उत्पाद भी शुरू कर दिया है। भविष्य में भी इसकी खेती अच्छे ढंग से करेंगे।अपनी संस्था के माध्यम से लोगो को जागरूक कर इसको जन जन तक पहुचाने का काम करेंगे।इन दोनो फसलों की अलग अलग विशेषता है।वही सुगर के मरीजो के लिये लाभदायक होता है काला चावल उनको इसका सेवन करना चाहिए।ये दोनों फसल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है और ये कर्क रोग रोधी भी है।इस फसल को करने से किसान की आय में व्रद्धि होती हैं।वही सामान्य गेहूं20रुपये किलो तो काले गेहूं की कीमत80रुपये वही काले चावल की किमी 300 रुपये किलो तो सामान्य की 50 यदि बासमती है तो 100 रुपये है।इससे करने से कम लागत में फायदा ज्यादा होगा।