कोंच (जालौन) कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) कोंच एवं प्रगतिशील लेखक संघ कोंच द्वारा मुंशी प्रेमचंद और आज का समाज विषयक वेबिनार गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि प्रगतिशील विचारधारा से जुड़े वरिष्ठ लेखक एवं स्तम्भकार जाहिद खान ने कहा कि साहित्य का काम अपने समय, समाज और संस्कृति की गुत्थियों को सुलझाने में मदद करना है। प्रगतिशीलता ही साहित्य की मुख्य धारा मानी जाती है। साहित्य, संस्कृति और समाज विज्ञान के दूसरे अनुशासनों ने इस दिशा में मिल-जुलकर काम किया है।
प्रलेस के प्रांतीय सचिव डॉ. मोहम्मद नईम ने कहा कि कथा सम्राट के निधन के 85 सालों बाद भी होरी, धनिया, घीसू और माधव जैसे तमाम किरदार आज भी हमारे आसपास निरीह और असहाय अवस्था में घूम रहे हैं। महाजनी सभ्यता नए रूपों में हमारे सामने है। हामिद के हाथ में चिमटा नहीं, मोबाइल फोन है। मानवीय संवेदनाएं हमारे रिश्तों और हमारे समाज से खत्म हो रही हैं। गोष्ठी की अध्यक्षता इप्टा कोंच के सरंक्षक अधिवक्ता अनिल वैद ने कहा, प्रगतिशील आंदोलन का प्रारंभ ही साम्राज्यवाद और पूंजीवाद के विरोध में हुआ था। गोष्ठी का प्रारंभ इप्टा रंगकर्मियों साहना खान, रानी कुशवाहा, कोमल अहिरवार, आदर्श अहिरवार द्वारा प्रस्तुत जनगीतों से हुआ। संचालन पारसमणि अग्रवाल ने किया आभार टिंकल राठौर ने जताया। इस दौरान राशिद अली, भास्कर गुप्ता, अमन खान, दानिश मंसूरी, प्रिया, अमन, भानुप्रताप, विशाल याज्ञिक, सैंकी यादव, योगवेंद्र आदि रहे।