हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र, 3 अगस्त :- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के संगीत एवं नृत्य विभाग द्वारा आयोजित कौशल विकास कार्यशाला के चौथे दिन के पहले सत्र नृत्य विषय से संबंधित था । डॉ. शुभ्रा ने गुरु के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हमारे जीवन में गुरु का होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि गुरु ही हमे सही दिशा दिखाता है। इसके पश्चात आपने पूर्व के सत्र में सिखाई जयपुर घराने की प्रसिद्ध बंदिश (चक्करदार परन)को सुना ।आपने जयपुर घराने के नृत्य की विशेषताओं पर भी प्रकाश डाला व बताया कि इस घराने में वीर रस और भक्ति रस का बहुत अधिक महत्व है।
उन्होंने मीराबाई तथा राजस्थान के राजाओं का उदाहरण देते हुए जयपुर घराने के नृत्य में भक्ति व वीर रस को स्पष्ट किया तथा जयपुर घराने की विशेषताओं यथा पैरो की तयारी (विवजूवता) और चक्कर का बहुत अधिक काम जिससे जयपुर घराना अन्य घरानों से पृथक दिखाई देता है के विषय में भी जानकारी प्रदान की।
दूसरे सत्र में तबला विशेषज्ञ डॉ. राहुल स्वर्णकार ने अविस्तारशील रचनाओं के क्रम में आज मुखड़ा मोहरा, टुकड़ा और उसके विभिन्न प्रकारों पर प्रकाश डाला तथा इन के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हुए कुछ रचनाएं सोदाहरण प्रस्तुत की तथा उनके निकास को समझाया। इस क्रम में विविध घरानों की कुछ सुन्दर रचनाओं के प्रस्तुतिकरण को समझया।
कार्यशाला के तीसरे सत्र में पंडित हरविंदर शर्मा ने अपना व्याख्यान देते हुए सितार पर इमदाद खानी घराने द्वारा आलाप के ढंग के विषय में बताया व राग चारुकेशी में सितार पर मंद्र मध्य व तार सप्तक की जानकारी भी दी। कार्यशाला के इस सत्र में लगभग 45 विद्यार्थियों, शोधार्थियों, अध्यापकगण एवं संगीतज्ञ ने भाग लिया।
इसके पश्चात प्रोफेसर यशपाल ने राग भैरव में द्रुत ख्याल का प्रशिक्षण दिया व राग भैरव के विषय में विभिन्न महत्वपूर्ण बातों को भी प्रतिभागियों से सांझा किया। इस सत्र का संचालन डॉ. सुशील ने किया।
इसके पश्चात पंचम सत्र में डॉ. रवि गौतम ने साउंड रिकॉर्डिंग से संबंधित विभिन्न विषयों पर प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया । कार्यशाला की को- कन्वीनर डॉ. आरती श्योकंद ने कार्यशाला के महत्व पर बताया संगीत के विद्यार्थियों को इस कार्यशाला से बहुत लाभ मिलेगा। बदलते समय के साथ कदम ताल करने में इस कार्यशाला में अर्जित ज्ञान पग-पग पर उनका मार्गदर्शन करेगा।