सावन में स्वयं भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी और अपने शिवगणों सहित पृथ्वी पर विराजते हैं : महंत जगन्नाथ पुरी

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161-91877

श्री मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर में सावन शिवरात्रि पर श्रद्धालुओं ने किया शिवलिंग पर अभिषेक।
भोलेनाथ श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं : महंत जगन्नाथ पुरी।
महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया सावन शिवरात्रि का महत्व।

कुरुक्षेत्र, 6 अगस्त : – सावन महीने की शिवरात्रि के अवसर पर मारकंडा नदी के तट पर श्री मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में पवित्र शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालु पहुंचे। इसी मौके पर अखिल भारतीय मार्कण्डेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी तथा अन्य संतों के सान्निध्य में श्रद्धालुओं ने सावन की शिवरात्रि का विशेष पार्थिव शिवलिंग अभिषेक किया। सावन की शिवरात्रि के कारण अलग अलग परिवारों ने यजमान के तौर पर पार्थिव शिवलिंग अभिषेक किया। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि सावन शिवरात्रि के दिन श्रद्धा पूर्वक शिव भक्तों द्वारा पार्थिव शिवलिंग अभिषेक करने पर भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सुख-समृद्धि की प्राप्ति के साथ कष्टों एवं दुःखों से मुक्ति मिलती है। उन्होंने बताया कि सावन शिवरात्रि पर श्रद्धा एवं सच्चे मन से केवल एक लोटा जल चढ़ाने से ही भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। साथ ही सावन की शिवरात्रि के साथ ही त्योहारों की भी शुरुआत हो जाती है। महंत जगन्नाथ पुरी ने सावन महीने में शिव पूजा का महत्व बताया कि स्वयं भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी और अपने शिवगणों सहित पूरे सावन महीने में पृथ्वी पर विराजते हैं। उन्होंने बताया कि भगवान शिव जब जीव का संहार करते हैं, तो महाकाल बन जाते हैं। यही शिव महामृत्युंजय बनकर उसी जीव की रक्षा भी करते हैं, तो शंकर बनकर जीव का भरण-पोषण भी करते हैं। यही योगियों के सूक्ष्म तत्व महारुद्र बनकर योगियों-साधकों, जीवात्माओं के अंतस्थल में विराजते हैं और रूद्र बनकर महाविनाश लीला भी करते हैं। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि स्वयं भगवान शिव ही ब्रह्मा और विष्णु के रूप में एकाकार देवों के देव महादेव बन जाते हैं। इन्ही महादेव को प्रसन्न करने के लिए अच्छे अवसर के रूप में सावन महीने में शिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाता है। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करना ही काफी होता है। सच्चे मन से आराधना करने से ही भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं। शिव भक्तों को शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान कर के साफ कपड़े पहनकर शिव मंदिर जाना चाहिए। मंदिर जाते समय जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, इत्र, चंदन, केसर, भांग सभी को एक ही बर्तन में साथ ले जाना चाहिए और भक्ति भाव से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। शिवलिंग अभिषेक के अवसर पर स्वामी अमर नाथ, स्वामी सीताराम, संजू, नीता देवी, जसविंदर कौर, सोहन लाल, लीला देवी, मुस्कान, पारस, कृष, नैना, वंश, संतोष, शिवन्या, संजय गोयल, रविंद्र, श्रवण कुमार शास्त्री, रेखा, हरविंदर कौर, सुनीता काजल, संदीप गोयत, राकेश गोयल, अनुराधा गोयल, अनिरुद्ध, सुखप्रीत व रोशनी इत्यादि भी मौजूद थे।
महंत जगन्नाथ पुरी तथा श्रद्धालु सावन शिवरात्रि पर शिवलिंग पूजन एवं अभिषेक करते हुए।

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