कैब ड्राईवर केस बना फेमिनिस्म का मामला

तो जैसा की आप लोगो को पता ही होगा आज कल कैब ड्राईवर वाला केस बहुत र्चचा में है और रातों रात ही इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हो गया। इसके बाद इस वीडियो की वजह से सोशल मीडिया पर विवाद छिढ़ गया। जिसमे फेमिनिस्म को बार-बार बीच में लाया जा रहा है।

क्या है फेमिनिस्म ?
फेमिनिस्म मतलब की औरतों को आदमियों के बराबर हक़ मिलना चाहिये, फेमिनिस्म औरतों और आदमियों के बीच समानता को बढावा देता है। फेमिनिस्म मतलब ये नही की औरतों का विशिष्ट सत्कार करना चाहिये या मर्दों को औरतों से डरना चाहिये । चाहे लड़का हो या लड़की बस न्याय होना चाहिये पर लोगो ने इसे लिंग असमानता और फेमिनिस्म का मामला बना दिया है ।

लोग फेमिनिस्म को गलत तरीके से समझ रहे है और प्रस्तूत कर रहे है।बहुत सारी लड़कियाँ फेमिनिस्म का सहयोग करती है पर इस एक केस की वजह से लड़कियाँ सारे लड़को पर भरोसा भी तो नही कर सक्ती, और एसे कसेस को तो सब गिन भी सकते है जिसमें लडकियों ने एसा किया हो पर रेप केसेस को तो कोई गिन भी नही सकता क्योंकि रेप कसेस की कोई गिनती ही नही है। आज भी इस देश की लडकिया सुरक्षित नही है, रात में बाहर नहीं निकल सकती लड़को की वजह से क्योंकि आये दिन रेप कसेस होते रहते है। इस एक केस की वजह से बहुत सारे लड़के अपने आप को शरीफ बता रहे है और कह रहे है “हम लड़के है हम रो नहीं सकते।”

बात यहा लड़का या लड़की की है ही नहीं अगर इसमें लड़की की जगह पर कोई लड़का भी होता वो भी गलत होता । अन्याय-अन्याय होता है चाहे फिर वो लड़का करे या लड़की अन्याय का कोई लिंग नहीं होता, कोई धर्म नहीं होता।
*पलक त्रिवेदी गिरजा बाग उन्नाव, शगुन त्रिपाठी इंद्रा नगर लखनऊ।

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