कविता लेखक दिव्या बाजपेई कन्नौज
जिस आंगन को सुना छोड़ आती है बेटियां
उस आंगन की रौनक होती है भाभियां
बेटी जिस आंगन की होती है कलियां
उस आंगन की फूल होती है भाभियां
हम सबकी प्यारी हो भाभी
मां बाप का सम्मान हो भाभी
हमारा भी अभिमान हो भाभी
हमारी प्रीति की प्रेम हो भाभी
यह मान सजाए रखना आप
अपना प्यार बनाए रखना यूं ही
भाभी
हमारी प्यारी भाभी एक दोस्त और सहायक बन आई
जीवन में हमें कभी कष्ट न देती, ऐसी खुशियां बन आई
बोझ कम हुआ मेरे घर में वह बनके मेरी प्रलाभी आई
जब से घर में भाभी आई घर में खुशियां छाई
भाभी रूप में मिली आप बड़ी कहलाती हो
मेरे घर आंगन की भाभी खुशियों की चाबी हो
हमारे लिए भाभी प्रीत का बंधन हो
हमारे लिए भाभी सबसे वढ़कर प्यारी हो