धन जीवन की आवश्यकता है उद्देश्य कदापि नही: परमहंस ज्ञानेश्वर जी महाराज।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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भगवान श्री कृष्ण में विश्वास रखने वाला ही मोक्ष का अधिकार बन जाता है: महन्त महेश मुनि।
अवधूत आश्रम कुरुक्षेत्र में विश्व कल्याण कॅरोना महामारी निवारण हेतू शतचंडी महायज्ञ का आज पांचवा दिन।
आश्रम में आज संतों द्वारा जीवन के वास्तविक उद्देश्य विषय को लेकर हुई चर्चा।
महायज्ञ में आज षड्दर्शन साधुसमाज के महासचिव महन्त ईश्वर दास , महन्त सुनील दास का भी हुआ आगमन।
कुरुक्षेत्र 25 जनवरी :- धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के श्री अवधूत आश्रम पिहोवा रोड कुरुक्षेत्र में परम पूज्य सद गुरु श्री महानंद ‘अवधूत’ जी महाराज की अनुकम्पा से विश्व कल्याण कॅरोना महामारी निवारण हेतू आश्रम के संचालक षड्दर्शन साधुसमाज के अध्यक्ष परमहंस ज्ञानेश्वर जी महाराज के सानिध्य में शतचण्डी महायज्ञ के आज पांचवे दिन सत्संग में संतों द्वारा जीवन के वास्तविक उद्देश्य विषय को लेकर चर्चा हुई जिसमे परमहंस ज्ञानेश्वर जी महाराज ने बताया कि विषय के लिए नही वासुदेव के लिए जियो।
आज जिस गति से विश्व में इंसान तनाव भरी जिंदगी में जी रहा है यह उसका अज्ञान ही है वासुदेव की शरण मे रहने वाला इंसान सभी प्रकार के तनाव से मुक्त रहता है।
इस विषय को लेकर सभी संतों ने अपने अपने विचार रखे। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के महन्त महेश मुनि ने भी अपने विचार रखे उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण की भगत्ती में ही मोक्ष है।
आश्रम परिसर में प्रतिदिन भजन संध्या सांयकाल को हो रही है और संत विद्वान ब्राह्मण जनकल्याण हित के लिए अपने अपने विचार प्रगट करते है ।
महायज्ञ में यज्ञाचार्य सोमदत्त भारद्वाज गोहाना ओर उनके साथ वेदाचार्य ब्राह्मण पूर्ण शुद्धता विधिविधान से यज्ञ का कार्य कर रहे है।
परमहंस स्वामी ज्ञानेश्वर महाराज ने बताया कि संसार में सबसे ज्यादा दुखी कोई है तो वह असंतोषी है। असंतोष के कारण ही मानव पाप और निम्न आचरण करता है। जगत के सारे पदार्थ मिलकर भी मानव को सन्तुष्ट नहीं कर सकते, संतोष ही प्रसन्न रख सकता है।
एक बात तो बिलकुल जान लेनी चाहिए कि धन के बल पर पूरे संसार के भोगों को प्राप्त करने के बाद भी इंसान अतृप्त ही रहेगा। रिक्तता , खिन्नता, विषाद, अशांति इंसान का पीछा ना छोड़ेगी। आशा का दास तो हमेशा निराश ही रहेगा।
एक बार श्री कृष्ण पर विश्वास कर लोगे तो कुत्ते की तरह दर-दर नहीं भटकना पड़ेगा। अभाव में भी कृपा का अनुभव होगा और प्रत्येक क्षण आनन्द का अनुभव होगा।
विषय के लिए नहीं वासुदेव के लिए जियो। और हाँ धन जीवन की आवश्यकता है उद्देश्य कदापि नहीं। इससे आज तक कोई तृप्त नहीं हुआ। सत्संग उपरांत सभी श्रद्धालुओं ने महाराज जी से आशीर्वाद लिया और प्रशाद ग्रहण किया।