साध्वी श्री जी ने अपने स्वरचित गीत के माध्यम से तीन तपस्वीयों के तप का किया अभिनंदनन
फारबिसगंज संवाददाता
आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी सुशिष्या डॉक्टर साध्वी पीयूष प्रभा जी के सानिध्य में तप अभिनंदन का भव्य कार्यक्रम बुधवार को तेरापंथ भवन आयोजित किया गया।जहां साध्वी श्री जी की प्रेरणा से तेरापंथ भवन में 11 और आठ की तपस्या लिए तीन तपस्वीयों ने अपने तप का प्रत्याख्यान किया। जिसमें प्रभा सेठिया ने 11 की तपस्या, कुणाल खटेड ने 11 की तपस्या और प्रिया खटेड आठ की तपस्या लेकर साध्वी जी के समक्ष उपस्थित हुई। तपोभिनंदन के भाव भीने कार्यक्रम में साध्वी श्री जी ने अपने उद्बोधन में कहा की तपस्या निर्जरा का एक मार्ग है ।शरीर और सहयोग दोनों की अपेक्षा तप के लिए बहुत जरूरी है ।तपस्या विरले लोग ही कर पाते हैं। भोग उपभोग यह सारे काम सरल है लेकिन त्याग का जीवन सचमुच एक दुष्कर जीवन है। साध्वी श्री जी ने अपने अपने शरीर बल के हिसाब से सभी को तपस्या की प्रेरणा दी और इस चौमासे का लाभ उठाने के लिए सभी को प्रेरित किया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी साध्वी श्री जी ने अपने स्वरचित गीत के माध्यम से तपस्वीयों के तप का अभिनंदन किया।साध्वी श्री ने कहा की केवल पक्के पानी के आधार पर जैन शासन में तपस्या का विधान है ।जो भी उपवास रखता है उसे अचित पानी का सेवन करना होता है या फिर चौबिहार उपवास अर्थात बिना पानी के उपवास करना होता है इसके अलावा कुछ भी कोई भी अन्य खाने-पीने का त्याग किया जाता है। भगवान महावीर स्वामी ने 6 मास तक उपवास किया । अभी भी तप करने वाले लगातार 1 दिन के उपवास से लेकर दो -दो तीन- तीन महीने का उपवास लगातार कर रहे हैं। इंदौर में तेरापंथ धर्म संघ के मुनी नमीकुमार जी 50 से ऊपर की तपस्या कर रहे हैं। तप भोग के ऊपर त्याग की विजय है। चाहे किसी भी रूप में हो तप को हर धर्मों में श्रेष्ठ बताया गया है। तपोभिनंदन कार्यक्रम में समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी सभा के अध्यक्ष श्रीमान निर्मल मरोठी और मंत्री सुमन डागा ने सभी तपस्वीयों का स्वागत तथा अभिनंदन किया। महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती कुसुम भंसाली ने कहा की कर्मों की निर्जरा तपस्या के द्वारा होती है हमें तप के मार्ग में भी अग्रसर होना चाहिए। युवक परिषद की ओर से तथा परिवार की ओर से श्री आशीष वैद्य ने गीतिका द्वारा अपने भाव की प्रस्तुति दी। ज्योति खटेड, मनीषा चौरड़िया, रचित खटेड़, प्रेक्षा, संयम ,सरिताबु सेठिया, रेनू सेठिया ने अपने भाव की अभिव्यक्ति वक्तव्य और गीतिकाओं के माध्यम से दी । कार्यक्रम का संचालन नीलम बोथरा ने किया। कुल मिलाकर पूरा वातावरण तपोमय हो गया अवसर पर अच्छी संख्या में समाज की उपस्थिति रही।