टीईटी शिक्षकों से छल कर रही है राज्य सरकार, जब टीईटी के बगैर शिक्षक नही बन सकते है, तो बिना टीईटी प्रधानाध्यापक कैसे बनायेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,, सुनील कुमार सिंह।।
अररिया से मो ऊ
टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिला संयोजक सुनील कुमार सिंह ने शिक्षा विभाग पर लगातार शिक्षा के अधिकार कानून एवं नई शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों की अनदेखी करते हुए टीईटी शिक्षकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हर बार जानबूझकर अनुभव संबंधी ऐसे शर्तों को शामिल कर लिया जाता है जिससे कि बड़ी संख्या में टीईटी शिक्षक बाहर हो जाते हैं। ऐसा पूर्व में सीआरसीसी एवं बीआरपी की नियुक्ति के समय भी किया गया था।
शिक्षा विभाग के द्वारा प्रधानाध्यापक/ प्रधान शिक्षक नियुक्ति को लेकर शिक्षा विभाग की तरफ से जारी अधिसूचना के प्रावधानों पर कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश सचिव जेपी यादव जिलाध्यक्ष आफताब फिरोज़, प्रधान सचिव राजेश कुमार, कोषाध्यक्ष विजय कुमार गुप्ता ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि आरटीई लागू होने के बाद देश भर में बगैर टीईटी परीक्षा पास किये शिक्षक नहीं बन सकते तो, बिना टीईटी परीक्षा पास किये प्रधान शिक्षक औऱ प्रधानाध्यापक बनाने की बात शिक्षा विभाग किस आधार पर कर रही है। यह शिक्षा अधिकार कानून का सीधा उलंघन है।
पूर्व में संघ के द्वारा प्रधानाध्यापक पद पर सेवा में उल्लेखित प्रोन्नति को लेकर हाईकोर्ट में सीडब्ल्यूजेसी-18449/19 याचिका दायर किया गया था। इसमें संघ की जीत हुई थी। न्यायालय के द्वारा 3 महीने के अंदर स्नातक ग्रेड प्रशिक्षित टीईटी शिक्षकों को प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति देने का आदेश दिया गया था, जिसका अनुपालन न होने के कारण संघ ने न्यायालय में अवमानना दायर किया है जिस पर सुनवाई होनी है । संघ ने प्रधानाध्यापक/ प्रधान शिक्षक नियुक्ति मामले में टीईटी, सीटीईटी, एसटीइटी अनिवार्य करते हुए 8 साल के अनुभव को शिथिल करने की मांग की है।
संघ टीईटी शिक्षकों के हकमारी के खिलाफ सड़क एवं न्यायालय में संघर्ष करेगा।