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कुरुक्षेत्र, 24 अगस्त:- कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन सेंटर (कुटिक) द्वारा विश्वविद्यालय में इनोवेटर्स और स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने और समर्थन करने के लिए जीआईएएन, गुजरात के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हरियाणा के सबसे पुराने विश्वविद्यालय यानी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में उद्यमिता, स्टार्ट-अप और नवीन गतिविधियों को एक नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए, कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी टेक्नोलॉजी इंक्यूबेशन सेंटर (कुटिक) जो कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय रूसा प्रोजेक्ट सोसाइटी का एक घटक है, ने 23 अगस्त, 2021 को भारत के सबसे प्रतिष्ठित और अग्रणी नेटवर्क गुजरात ग्रास रूट इनोवेशन ऑग्मेंटेशन नेटवर्क (जीआईएएन), गुजरात के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। यह यूनिवर्सिटी स्टार्ट-अप्स और इनोवेटर्स के लिए एक अधिक सहायक और उत्साह जनक इको-सिस्टम तैयार करेगा। वर्तमान स्थिति को देखते हुए, यह समझौता ज्ञापन गूगल मीट के माध्यम से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा की उपस्थिति में ऑनलाइन हस्ताक्षर किए गए।
इस समारोह के संचालन में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, रूसा की नोडल अधिकारी और डीन अकादमिक अफेयर्स प्रो. मंजुला चौधरी और प्रोजेक्ट संचालन समिति के सदस्य प्रो. पवन शर्मा के साथ कुटिक के प्रोजेक्ट एक्शन ग्रुप से प्रो. अनुरेखा शर्मा, प्रो. अनीता यादव, डॉ. हरदीप आनंद, डॉ. अश्विनी मित्तल, डॉ. रीता देवी, डॉ. रश्मि चौधरी और डॉ. सिम्मी वशिष्ठ उपस्थित रहे। दूसरी और जीआईएएन, अहमदाबाद की तरफ से डॉ. अनामिका डे, प्रो. अनिल गुप्ता, दर्शन, पार्थ, पियंत, डॉ. बिम्बिनी बरुआ, सुश्री वेन्दन, श्री जोशी और चेतन पटेल उपस्थित थे।
जीआईएएन के सीईओ डॉ. अनामिका डे ने जीआईएएन के बारे में बताया और कहा कि यह अहमदाबाद स्थित भारत का पहला प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर है जिसे ‘‘ए हनी बी नेटवर्क इंस्टीट्यूशन‘‘ भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि इस समझौते के तहत जीआईएएन और केयूटीआईसी, हरियाणा और पड़ोसी राज्यों के भीतर संयुक्त कार्यक्रमों का आयोजन और समर्थन करेगा जो नवीन विचारों और पारंपरिक ज्ञान पर आधारित होंगे। यह संगठन कुटिक को अपने सदस्यों द्वारा मेंटरशिप, नियमित गतिविधियों और अंततः वित्त पोषण जैसी सेवाएं देकर विश्वविद्यालय आधारित स्टार्ट-अप और उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार करने में मदद करेगा। इन पहलों से जमीनी नवोन्मेषकों को एक सफल उद्यमी बनने में मदद मिलेगी। उन्होंने जीआईएएन के संस्थापक प्रोफेसर अनिल गुप्ता के साथ अपनी टीम का भी परिचय दिया। प्रोफेसर अनिल गुप्ता जो कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के भूतपूर्व छात्र रहे हैं, उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
इस मौके पर प्रोफेसर गुप्ता ने कहा कि जमीनी स्तर पर नवाचार के माध्यम से हमें विश्वविद्यालय, कॉलेजों और स्कूलों के सभी छात्रों को समाज आधारित समस्याओं से जोड़ना है और उन्हें अपनी दृष्टि से ऐसी समस्याओं को हल करने के लिए प्रेरित करना है। ऐसा करने से वे नवाचार के बारे में समझेंगे, ऐसी रचनात्मकता के लिए हम उन्हें वित्तीय सहायता और डेटा बैंक उपलब्ध की सुविधा प्रदान करेंगे जो उन्हें एक सफल उद्यमी बनने में मदद कर सकते हैं। कुटिक, कुर्प्स और जीआईएएन की टीमों को बधाई देते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि इस तरह के समझौते निश्चित रूप से भविष्य में कृषि और अन्य संबंधित क्षेत्रों में समाज को एक आत्मनिर्भर प्रणाली बनाने में मददगार होंगे और किसानों की आय बढ़ाने में सहायता करेंगे।
रूसा की नोडल अधिकारी प्रो. मंजुला चौधरी ने कहा कि इस समझौते से विश्वविद्यालय में नवाचार के लिए पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण और इन्क्यूबेशन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। डॉ. अनुरेखा शर्मा, समन्वयक-कुटिक ने कहा कि ये सांझेदारी विश्वविद्यालय के छात्रों, स्टार्ट-अप, संकायों और साथ-साथ राज्य के लोगों के लिए और उनकी रचनात्मकता और ज्ञान के लिए नए अवसर लाएगी, जिसे दुनिया भर में जाना जाएगा।