कुर्साकांटा पीएचसी तालाब में तब्दील; प्रश्न करने पर केंद्र प्रभारी दे रहे है,गैर जिम्मेदाराना जवाब:-
फारबिसगंज से मो माजिद
कुर्साकांटा (अररिया) आप गलतफहमी के शिकार ना हो, इसलिए बताते चलें कि ये कोई तालाब नहीं है बल्कि कुर्साकांटा पीएससी का ऑपरेशन थिएटर है और यह हाल बस ऑपरेशन थिएटर का नहीं, बल्कि पूरे कुर्साकांटा पीएचसी परिसर का है। विगत कुछ दिनों से वर्षा हो रही है और पूरा कुर्साकांटा पीएचसी तालाब में तब्दील हो गया गया है। जलजमाव से अस्पताल में आने वाले रोगी परेशान हैं। रोगियों को जलजमाव के कारण उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति बद से बदतर है और केंद्र प्रबंधन की आंखें जैसे बंद है या फिर वह खुली होकर भी रोगियों एवं आमजनों की तकलीफ देखना नहीं चाहते। जलजमाव से बीमारी फैल सकती है लेकिन इसके निपटारे के लिए किसी तरह का एक छोटा सा प्रयास तक नहीं किया जा रहा है। प्रयास तो छोड़िए, पीएच सी के प्रभारी इस पर बात तक नहीं करना चाहते; सवालों का उत्तर देना तो छोड़िए, सवाल पूछने पर भी भड़क जा रहे हैं और अगर उत्तर दे भी रहे हैं तो ऐसा कि आप हंसने पर मजबूर हो जाएंगे। पीएचसी प्रभारी डॉ जमील अहमद से इस बदहाल स्थिति पर जब प्रश्न किया गया तो उन्होंने एक गैर जिम्मेदाराना जवाब देते हुए कहा कि अभी बारिश का मौसम है, जलजमाव होगा ही ,हम लोग इसमें कुछ नहीं कर सकते। दोबारा जब उनसे फिर प्रश्न किया गया कि क्या अभी जलजमाव के स्तर में कमी आयी है तो उन्होंने प्रश्न को टालते हुए कहा, मुझे इस संदर्भ में कुछ पता नहीं है।
बताईए, अगर प्रभारी इस तरह का गैर जिम्मेदाराना जवाब देंगे, उनका रवैया इस कदर प्रतिकूल रहेगा तो स्वास्थ्य केंद्र की जिम्मेदारी कौन लेगा ?
प्रश्न उठता है कि सरकार से मिलने वाले फंड का क्या होता है?
जब बारिश के पानी से स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी के घर में जलजमाव नहीं होता है तो फिर स्वास्थ्य केंद्र परिसर मे क्यों हो जाता है?
सरकार से पीएचसी रखरखाव के लिए फंड मिलता है, तो उसका इस्तेमाल क्यों नहीं हो रहा है और अगर हो रहा है तो कहां हो रहा है?
सरकार से पारित निधि आखिर कहां जाती हैं?
इन समस्याओं को देखते हुए आम मरीजों एवं रोगी कल्याण समिति के सदस्य मिलन कुमार ने कहा कि जलजमाव की समस्या जल्द से जल्द खत्म हो, नहीं तो स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी एवं कुर्साकांटा स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ आक्रोश प्रदर्शन किया जाएगा।