टीईटी शिक्षक सरकार से समय पर वेतन और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायनिर्णय पैरा-78 के आधार पर अपने लिए अलग संवर्ग बनाने की कर रहे हैं मांग।
अररिया संवाददाता
अररिया।सोमवार को स्थानीय गर्ल्स आइडियल एकेडमी अररिया के प्रांगण में टीईटी शिक्षकों के विभिन्न समस्याओं और उसके समाधान को लेकर विचार-विमर्श के लिए टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ जिला इकाई अररिया द्वारा जिला संयोजक सुनील कुमार सिंह की अध्यक्षता और प्रधान सचिव राजेश कुमार के संचालन में विशेष बैठक आयोजित की गई। टीईटी शिक्षकों ने सरकार से टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के अविलंब नियुक्ति की मांग करते हुए राज्य सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार टीईटी शिक्षकों की और सर्वोच्च न्यायालय की उचित न्याय निर्णय पैरा-78 की अनदेखी कर रही है। सरकार अपने वादे के अनुसार शिक्षकों को ससमय वेतन भुगतान भी नहीं कर पा रही है। लंबे समय से नवप्रशिक्षित शिक्षकों का प्रशिक्षण तिथि से बकाया वेतन के भुगतान के लिए राशि नहीं जारी किया जाना भी सरकार का शिक्षकों के प्रति सौतेले रवैए को दिखाता है। सरकार द्वारा एक साज़िश के तहत टीईटी शिक्षकों को प्रधानाध्यापक पद के लिए बीपीएससी द्वारा आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षा से भी वंचित रखने का स्वांग रचा गया है। टीईटी शिक्षकों ने मांग की है कि जिस तरह से बगल के राज्य उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित अन्य कई राज्यों में टीईटी शिक्षकों को सहायक शिक्षक का दर्जा एवं हर सुविधाएं दी जा रही है जो नियमित शिक्षकों को दी जाती है, वैसे ही बिहार में भी भी सर्वोच्च न्यायालय के न्यायनिर्णय पैरा-78 के आलोक में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए।
संघ के जिलाध्यक्ष मो आफताब फिरोज़ ने कहा कि बिहार सरकार शिक्षक दिवस या किसी अन्य मौकों पर शिक्षकों को झूठा सम्मान देने के बजाय अन्य राज्यों की तरह ही सहायक शिक्षक का दर्जा और नियमित शिक्षकों की भांति सेवाशर्त का लाभ दे दे। यही टीईटी शिक्षकों के लिए सबसे बड़ा सम्मान होगा। संघ के जिला संयोजक सुनील कुमार सिंह ने कहा कि खराब वित्तीय स्थिति का हवाला देकर शिक्षकों को समान वेतन से वंचित रखने वाली सरकार चायनीज़ सेवा शर्त में 15 प्रतिशत वेतन-वृद्धि की जो घोषणा की थी उसे भी लागू करने में वित्तीय स्थिति का बहाना बनाकर टाल मटोल कर रही है । सरकार का रवैया शिक्षा एवं शिक्षक के प्रति हमेशा उदासीन रहा है। लंबे समय से नव प्रशिक्षित शिक्षकों का अन्तर वेतन बकाया है जिसके भुगतान को लेकर भी सरकार के तरफ से कोई भी पहल दिखाई नहीं दे रही है। वेतन विसंगति को दूर करने के लिए भी सरकार प्रतिबद्ध नहीं है और अब राज्य सरकार ने सूबे के प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षक बहाली को लेकर बीपीएससी के माध्यम से परीक्षा लेने का निर्णय लिया है। इसके लिए कार्यरत बेसिक ग्रेड शिक्षकों को आठ 08 साल सेवा अवधि की बाध्यता निर्धारित कर दी गई है। जिला प्रधान सचिव राजेश कुमार ने कहा कि सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून और नई शिक्षा नीति-2020 को दरकिनार करते हुए टीईटी की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। प्रदेश सचिव जेपी यादव ने सरकार द्वारा लाए गए प्रधान शिक्षक बहाली नियमावली को असंवैधानिक एवं साजिशों का पुलिंदा बताया है। जिला संरक्षक सत्यम कुमार ने बताया कि संगठन द्वारा पुर्व में भी माननीय शिक्षा मंत्री श्री विजय कुमार चौधरी को प्रदेश संयोजक द्वारा ज्ञापन सौंपकर टीईटी उत्तीर्ण शिक्षकों के विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया गया था विशेषकर प्रधानाध्यापक बहाली परीक्षा में आठ वर्ष की बाध्यता को शिथिल कर सभी टीईटी उत्तीर्ण शिक्षकों को परीक्षा में शामिल करने की मांग की गई थी। संघ के महासचिव सचेन्द्र कुमार,संयुक्त महासचिव रामानंद सागर,वरीय उपाध्यक्ष दीनबंधु यादव आदि ने कहा कि अब शिक्षक चुप नहीं बैठनेवाले हैं। इसके विरेाध में सड़क से न्यायालय तक पुरजोर विरोध किया जाएगा।इस मौके पर प्रदेश सचिव जेपी यादव,जिला संयोजक सुनील कुमार सिंह,जिला प्रधान सचिव राजेश कुमार,जिला महासचिव सचेन्द्र कुमार,जिला संयुक्त महासचिव रामानंद सागर, जिला संरक्षक सत्यम कुमार,जिला वरीय उपाध्यक्ष दीनबंधु यादव,जिला सचिव मो मुशीर आलम, जोकीहाट प्रखंड अध्यक्ष मोदस्सिर आलम, रानीगंज प्रखंड उपाध्यक्ष रामलाल मंडल, रानीगंज प्रखंड उपाध्यक्ष प्रभाकर यादव, रानीगंज प्रखंड उपाध्यक्ष अच्छे लाल कुशवाहा आदि दर्जनों संगठन के पदाधिकारी उपस्थित थे।