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नई शिक्षा नीति 2020 के तहत् अगले शैक्षणिक सत्र से आरम्भ होगा कोर्स।
कुरुक्षेत्र, 9 सितम्बर :- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में सरस्वती नदी के प्राचीनतम इतिहास को लेकर पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए कमेटी गठित की गई है। अब कुवि में नई शिक्षा नीति 2020 के तहत् अगले शैक्षणिक सत्र से इस पाठय्क्रम को शुरू किया जाएगा। गुरूवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय परिसर में हुए कार्यक्रम में कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने सरस्वती नदी के प्राचीन इतिहास को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए गठित कमेटी से मुलाकात के दौरान यह जानकारी देते हुए यह बताया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में हरियाणा के माननीय मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मार्गदर्शन में नई शिक्षा नीति 2020 के तहत् गतिविधि आधारित शिक्षा कोर्स के अंतर्गत पवित्र सरस्वती नदी पौराणिक इतिहास एवं साहित्य को लेकर एक पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा। यह कोर्स कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को भारत की पवित्र सरस्वती नदी की प्राचीन सभ्यता, विरासत के बारे में जानकारी देगा। भारत विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। भारतीय संस्कृति का सृजन सरस्वती नदी के तट पर हुआ है।
कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने बताया कि भारतीय संस्कृति, संस्कृत भाषा और सरस्वती में एक अनूठा संगम है। उन्होंने बताया कि विश्व की प्राचीन जीडीपी में भारत का 33 प्रतिशत योगदान रहा है। संस्कृत भाषा ने भारत की जीडीपी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जब मुगल भारत में आए तब भारत की जीडीपी 23 से 24 प्रतिशत थी जो कि अंग्रेजों के आने के बाद कम हो गई। उन्होंने बताया कि युवा पीढ़ी को पवित्र सरस्वती नदी के इतिहास एवं उद्गम स्थल के विषय में अवगत एवं आत्मसात के लिए इस कोर्स को नई शिक्षा नीति 2020 के तहत् पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की योजना है।
कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि सरस्वती नदी का पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी के अध्यक्ष केयू स्थित सरस्वती नदी अनुसंधान एवं उत्कृष्टता केंद्र के निदेशक प्रोफेसर एआर चौधरी तथा इसके सह-अध्यक्ष डॉ. प्रीतम सिंह, सहायक निदेशक, डॉ. बीआर अम्बेडकर स्टडीज सेन्टर होंगे। उन्होंने बताया कि इस कमेटी में दर्शनशास्त्र विभाग, टूरिज्म, अर्थशास्त्र, संस्कृत पालि एवं प्राकृत विभाग तथा अंग्रेजी विभाग के शिक्षक सदस्य होंगे। यह पाठ्यक्रम साइंस एवं आर्टस सभी छात्रों के लिए उपलब्ध होगा और इसके अध्ययन करने से छात्र अपनी सभ्यता, संस्कृति एवं प्राचीन इतिहास के प्रति जागरूक एवं सचेत होंगे।