पूर्व सांसद के आने के बाद दो फाड़ में बंटी सपा
उपेक्षा से आहत जिम्मेदार नेता कैसे पार होगी सपा की नैया
संवाददाता:-विकास तिवारी
आलापुरर(अंबेडकरनगर)||विधानसभा क्षेत्र आलापुर अन्तर्गत राजनीतिक उथल-पुथल तेज समाजवादी पार्टी प्रदेश में सरकार बनाने का सपना देख रही है वहीं 279 विधानसभा आलापुर में संगठन तितर-बितर हो कर अपनी-अपनी ढपली बजाने में मस्त हैं।आगामी चुनावी वर्ष में इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ सकता है जिसका कारण बसपा छोड़ सपा में आये पूर्व सांसद त्रिभुवनदत्त को माना जा रहा है। मालूम हो सपा विधानसभा आलापुर में पूर्व सांसद के पार्टी में आने के बाद से ही सपा के पुराने कार्यकर्ता त्रिभुवनदत्त को पचा नहीं पा रहे हैं और रही सही कसर खुद त्रिभुवनदत्त ने पूरी कर दिया अपनी पहुँच का एहसास कराने के लिए उन्होंने प्रदेश नेतृत्व को आलापुर का विधानसभा अध्यक्ष बदलवा लिया इस फैसले से विधानसभा के जिम्मेदार साथी हतप्रभ रह गए ।विधानसभा अध्यक्ष के साथ पूर्व सांसद ने पार्टी के पुराने कार्यालय को तिलांजलि दे दिया और पुराने बसपा कार्यालय को सपा का नया कार्यालय बना लिया जहाँ सपा के पुराने कार्यकर्ता उपस्थित होने में असहजता महसूस करते हैं ।विधानसभा अध्यक्ष, विधानसभा कार्यालय बदलने के साथ ही पूर्व सांसद के साथ बहुजन समाज पार्टी को छोड़ पूर्व सांसद के साथ आये बसपा कार्यकर्ताओं की टीम त्रिभुवनदत्त के अगल बगल चलने लगी जिससे सपा के कार्यकर्ता अपने को उपेक्षित महसूस करने लगे। आगामी चुनावी वर्ष में आलापुर विधानसभा में यदि वर्तमान स्थिति बनी रही और पूर्व सांसद को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने प्रत्याशी बनाया तो यह सपा के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है ।पार्टी के पुराने और जिम्मेदार नेता जिसमें संगठन से जुड़े लोग हैं और कई फ्रन्टल संगठनों के जिम्मेदार पदाधिकारी पूर्व सांसद से अलग हटकर समानांतर बैठकें और कार्यक्रम चला रहे हैं जिसका आमजनमानस में गलत सन्देश जा रहा है । बसपा छोड़कर जो लोग पूर्व सांसद के साथ सपा में आये हैं यह लोग संगठन में काम करने व पार्टी को मजबूती प्रदान करने के बजाय अभी से ही पुराने सपा कार्यकर्ताओं को यह बताने से गुरेज नहीं करते कि जिस दिन विधायक त्रिभुवनदत्त हो जाएंगे तो सर्वे सर्वा सब कुछ हम होंगे और जो चाहेंगे वही होगा ।इतना ही नहीं पूर्व सांसद से इतर जो कार्यकर्ता संगठन से जुड़ा हुआ है उन्हें धमकी भी दी जाती है कि बस सरकार बन जाये फिर इन लोगों की कोई जरूरत नही है । विधानसभा आलापुर में अधिकांश जिम्मेदार पुराने कार्यकर्ता पार्टी से टिकट के दावेदार नेता सभी त्रिभुवनदत्त के खिलाफ मोर्चा संभाल रखा है जिसे दूर करना शीर्ष नेतृत्व के लिए टेढ़ी खीर होगा ऐसे में पूर्व सांसद को यदि आलापुर से प्रत्याशी बनाया जाता है तो यह पार्टी के लिए घातक साबित हो सकता है।