हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र, 18 सितम्बर :- भारतवर्ष की आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान की पुस्तक ‘‘स्वतंत्रता संग्राम के बाल बलिदानी’’ पुस्तक का विमोचन किया गया। यह जानकारी देते हुए विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने बताया कि विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की साधारण सभा जोधपुर में चल रही है, जिसमें संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डी. रामकृष्ण राव, राष्ट्रीय मंत्री अवनीश भटनागर, हरियाणा प्रदेश के संगठन मंत्री रवि कुमार ने इस पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने बताया कि पुस्तक के लेखक गोपाल माहेश्वरी इन्दौर हैं। पुस्तक के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि देश पर मर मिटने या किसी भी प्रकार देश के काम आने के लिए उम्र का कोई बन्धन नहीं होता। आश्चर्य होगा कि स्वतंत्रता की लड़ाई में 65 बच्चे ऐसे थे जिनकी आयु तेरह वर्ष से कम थी। 240 बच्चे ऐसे थे जो 14 से 18 वर्ष की किशोर अवस्था के थे और 231 तरुण अवस्था अर्थात् 19-20 वर्ष के थे। ये 536 तो वे बच्चे हैं जिनके हमें नाम, आयु, स्थान आदि पता हैं। बड़ी संख्या ऐसे बच्चों की भी है जो गुमनाम रह गए। जिनको कोई जान न सका। इस पुस्तक में ऐसे गुमनाम 30 बलिदानी बाल क्रान्तिकारियों के वृत्तान्तों को संकलित किया गया है जिन्होंने, जीवन के प्रारम्भकाल में ही यानि अपनी बाल्यावस्था या किशोरावस्था में ही स्वतन्त्रता के महायज्ञ में अपनी आत्माहुति दे दी। उन्होंने बताया कि विद्या भारती अपने प्रकाशनों के द्वारा इस प्रकार का साहित्य निर्माण करती रहती है जो विद्यार्थियों में देशभक्ति की भावना जगाने में समर्थ हो।
स्वतंत्रता संग्राम के बाल बलिदानी पुस्तक कवर विवरण।