साहेब पापी पेट का सवाल है
फारबिसगंज(अररिया)से अमित ठाकुर
गगन में उड़ते आजाद पंक्षियों को पकड़कर कैद करना व उसका विक्रय करना कानून अपराध माना जाता है। लेकिन, क्या सरकार इस मसले पर गंभीर है या फिर पशु-पंक्षियों को संरक्षित करने से संबंधित वनविभाग इस दिशा में अपना सकारात्मक कदम उठा रहा है तमाम सवालों का अगर जवाब अगर खोजा जाय तो जवाब निसंदेह ना में ही आएगा। कहने का तात्पर्य यह है भले ही जंगली पशु-पंक्षियों को महफूज रखना पर्यावारण संरक्षित रखने की दिशा में एक आवश्यक कदम माना गया है और इसके लिए हमारे मुल्क में कानून भी बने हैं। लेकिन, सबके सब महज कागजों तक सिमटे हैं। भादों मास बीतने के बाद हर साल फारबिसगंज तथा आस-पास के इलाकों में जंगली पंक्षियों को धड़ल्ले से बेचा जाता है। रविवार को कुछ ऐसा ही नजारा दिखा। शहर के छुआपट्टी में एक शख्स साईकिल पर विभिन्न प्रजातियों के तोते को बेच रहा था। क्रय करने वाले दो-चार लोग भी तोते को अपने घर में पालने के उद्देश से मोल-भाव में लगे थे हमारे रिपोर्टर की जब नजर पड़ी तो विक्रेता ने कहा साहब जनता हूँ कि यह कार्य गैरकानूनी है लेकिन, क्या करू पापी पेट का सवाल है।