सीएम का फरमान बेअसर कार्यालयों में जनसुनवाई के लिए नहीं मौजूद हो पा रहे आफिसर
कार्यालयों का चक्कर लगा मायूस लौट रहे फरियादी
पूर्ति निरीक्षक आलापुर के कार्यालय में सवा बारह बजे दिन तक लटका रहा ताला
छः माह पूर्व आनलाइन आवेदन करने के बाद भी नहीं जारी हो पा रहे राशन कार्ड व नहीं हो पा रही नामों की बढोत्तरी
संवाददाता-विकास तिवारी
आलापुर (अम्बेडकरनगर)|| मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ एवं शासन का स्पष्ट निर्देश है कि सभी विभागाध्यक्ष अपने-अपने कार्यालयों में कम से कम रोजाना एक घंटे बैठकर फरियादियों की जन समस्या सुन उसका निराकरण करेंगे। लेकिन मुख्यमंत्री एवं शासन का आदेश एवं निर्देश आलापुर क्षेत्र के सरकारी कार्यालयों में बेअसर दिख रहा है। अंधेर गर्दी एवं मनमानी का आलम यह है कि अधिकांश कार्यालयों के दिन में 1:00 बजे तक ताले ही नहीं खुल पाते हैं। बुधवार को आलापुर तहसील मुख्यालय में स्थित पूर्ति निरीक्षक आलापुर के कार्यालय का मंजर हैरान करने वाला रहा। दिन के लगभग 12:15 बजे पूर्ति निरीक्षक आलापुर के कार्यालय में ताला लटक रहा था पूर्ति निरीक्षक डॉ अमरदेव भास्कर सहित सभी कर्मचारी नदारद थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो आज अवकाश का दिन है। बाहर क्षेत्र के विभिन्न गांव से आए लगभग दर्जनभर फरियादी पूर्ति निरीक्षक के कार्यालय का ताला खुलने का इंतजार कर रहे थे। ग्राम सभा अछती से अब्दुल कलाम, सिंहपुर से सेवा दूबे, कसदहां से प्रिंस त्रिपाठी, बभनपुरा से श्रीकेश, देवलर से रबिन्द्र प्रजापति तो वही पत्राभार से आये चन्द्र केश ने बताया कि तीन महीने से दौड़ रहे है और छः बार आनलाइन कराने के बाद भी समस्या का निदान नहीं हो सका है। ऐसे फरियादी तो महज बानगी भर मात्र हैं जो राशनकार्ड बनवाने, नाम बढ़ोत्तरी करवाने व संशोधन करवाने तथा राशनकार्ड बनवाने के लिए कई महिनों से आवेदन कराकर कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि राशनकार्ड बन नहीं रहा है या राशन कार्ड में नामों की बढ़ोत्तरी व घटोत्तरी नहीं हो रही है। सब कुछ यदि सही माने तो यहां यह गोरख धंधा बहुत व्यापक पैमाने पर चल रहा है। नाम बढोत्तरी भी हो जायेगी और घटोत्तरी भी हो जायेगी बस आपको अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी। कार्यालय में कार्यरत कुछ संविदा कर्मियों व रोजाना कार्यालय के ईर्दगिर्द मडराते रहने वाले तीन चार उचित दर विक्रेताओं को आपको खुश करना पड़ेगा। जिन लोगों ने उनकी डिमांड पूरी की वो पात्र हो या न हो उनका काम पूरा हो जायेगा। और जो खुश नहीं कर पाये वह इसी तरह पूर्ति निरीक्षक से मिलने की आस में कार्यालय का चक्कर लगाते रहेंगे। विडंबना है कि सब कुछ जानने के बाद भी कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इसे जानने व जाचने की जहमत ही नहीं उठाना चाहता है। कार्यालय में तालाबंदी होने की जानकारी करने के लिए पूर्ति निरीक्षक डॉक्टर अमरदेव भास्कर से कई बार जरिए दूरभाष वार्ता करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया।