जांजगीर, 09 अक्टूबर 2021/ अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के उपलक्ष्य में 2 अक्टूबर को प्रयोग आश्रम तिल्दा में शांति सम्मलेन का आयोजन किया गया, इस सम्मेलन में महामहिम राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके भी उपस्थिति रही।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में 5 वीं अनुसूची के तहत आदिवासी अधिकारों के लिए बनाये गये कानून पेसा का प्रभावी क्रियान्वयन हो, प्रदेश के आदिवासी समाज से उनकी जमीन विकास के नाम पर न छिनी जाए और अहिंसात्मक विचारधारा पर काम करने वाले स्वयं सेवी संगठनों के साथ निरंतर संवाद बनी रहें ताकि समाज में शांति व्यवस्थाा बनी रहे।
एकता परिषद के संस्थापक और गांधीवादी श्री राजगोपाल जी ने कहा कि देश में न्याय प्रक्रिया दुरूस्त हो जाने से अपने आप शांति स्थापित हो जायेगी यह सोचना पड़ेगा एकता परिषद आदिवासी, दलित तथा गरीब परिवार के भूमि अधिकार की बात कहती है और सरकार से भूमि सुधार पर प्रभावी काम करने के लिए कहती है उन्होंने कहा कि भूमि सुधार की बात करने पर सरकार के द्वारा जमीन नही है जमीन उपलब्ध नही है कहा जाता है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की जमीन जो दबंगों ने अपने कब्जा में कर लिया है, उसे मुक्त कर वापस दी जाए जिस जमीन पर वे स्वयं काबिज है, उनका अधिकार पत्र पट्टा दे ताकि कभी विस्थापन से बच सके. सरकार को अलग से जमीन तलाशने की जरूरत नही है। इस न्याय और शांति पदयात्रा के समापन अवसर पर देशभर के 17 राज्यों के 100 जिलों में विश्व शांति दिवस 21 सितम्बर से प्रारंभ होकर विश्व अहिंसा दिवस 2 अक्टूबर को समापन किया गया जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य के 17 जिलों में भी यह पदयात्रा आयोजित किया गया तथा छत्तीसगढ़ राज्य के लगभग 350 पदयात्री इस पदयात्रा में शामिल होकर अपने अधिकारो के लिये आवाज बुलंद की और सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की भरसक प्रयास किया।
उक्त कार्यक्रम को सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल, पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम, आदिवासी सभा के अध्यक्ष सोहन पोटाई, स्वाभिमान मंच के संयोजक बसवराज तथा एकता परिषद के अध्यक्ष रनसिंह जी के द्वारा सभा को संबोधित किया गया।