वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय महेश्वर नारायण सिन्हा के परिवार ने किया श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
पूर्णिया संवाददाता
पूर्णिया के वरिष्ठ पत्रकार तथा यहां के स्तंभ कहे जाने वाले स्वर्गीय महेश्वर नारायण सिन्हा जी का श्रद्धांजलि सभा का आयोजन 17 अक्टूबर रविवार को किया गया ।इस कार्यक्रम में उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई ।यह श्रद्धांजलि सभा पूर्णिया के महबूब खान टोला स्थित उनके आवास पर की गई थी ।यह बताते चलें कि पिछले दिनों उनका निधन पटना के एक अस्पताल में हो गया था ।पटना में उनके पुत्र रहते हैं इसलिए पटना में ही उनका दाह संस्कार तथा सारे वैदिक विधानों का क्रिया- कर्म संपादित किया गया। फिर उनके परिवार जनों द्वारा पूर्णिया स्थित उनके आवास पर शांति पूजा, शांति भोज तथा श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया । इस आयोजन में स्वर्गीय महेश्वर नारायण सिन्हा के संपूर्ण परिवार के अलावा उनके कई नजदीकी पत्रकार उपस्थित थे। उनके नजदीकी मित्र गण भी इस कार्यक्रम में शामिल होकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस कार्यक्रम में उनके पुत्र राकेश रंजन , मुकेश रंजन तथा उनकी पुत्रियां मौसमी सिन्हा, अनीता सिन्हा, सुष्मिता सिन्हा तथा कविता सिन्हा के अलावे पुतुल कुमार सिन्हा, रतन सिन्हा इत्यादि मौजूद थे।पत्रकारों में वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश चन्द्रा,प्रेस क्लब पूर्णिया के अध्यक्ष -नंदकिशोर सिंह, मनोहर कुमार ,जे पी मिश्रा,अमित कुमार,सतीश कुमार ,मुकेश श्रीवस्ताव इत्यादि मौजूद थे।विशिष्ट व उनके मित्रगणों व परिचितों में सदर विधायक विजय श्रीवास्तव,जदयू जिलाध्यक्ष -श्री प्रसाद माहतो , वरिष्ठ नेता रंजन सिंह,विनोद सिंह,मनोज सिंह,एडवोकेट गौतम वर्मा,मनोज सिंह,भोला प्रसाद लाल,रंजन कुमार इत्यादि मौजूद थे।
इस खास मौके पर उपस्थित लोगों ने स्वर्गीय महेश्वर नारायण सिन्हा जी के जीवन में किए गए ऊंचे कार्यों को याद किया ।उनके जीवन की गति में हिन्दुस्थान न्यूज एजेंसी में रहते हुए पत्रकारिता की चहलकदमी कैसी थी , प्रशासनिक और राजनीतिक दृष्टिकोण को स्वर्गीय महेश्वर नारायण सिन्हा किस रूप में लेते थे उनके पत्रकारिता का अंदाज क्या था इस पर सभी लोगों ने आपस में चर्चा की ।
यह भी चर्चा हुई की उनके समय में तीन चार पत्रकार ही ऐसे थे जो शहर के पिलर थे और उस समय पन्नों में लिखकर खबरें बसों द्वारा पटना के कार्यालय में भेजी जाती थी।तब पत्रकारिता में एक सच्चाई की खनक हुआ करती थी।
पूर्णिया में टाइम्स ऑफ इंडिया के उस वक्त के पत्रकार समरनाथ मिश्रा , कमल आनंद, गंगा प्रसाद चौधरी इत्यादि की चौकरी वास्तविकता के लिए प्रशासन हो या राजनीति के लोगों को चने चबवा कर रखते थे ।आज की जो पत्रकारिता की स्थिति है जिसमें प्रशासन के आगे पीछे पिछलग्गुओं के समान पत्रकारिता के कमजोर सैनीक दौड़ते हैं उस वक्त ऐसा नहीं था । उस वक्त डीएम और एसपी की गाड़ी इन के दरवाजे पर लगा करती थी ।तब के समय प्रेस वार्ता के दौरान डीएम को यह हमारे वरिष्ठ पत्रकार मिस्टर डीएम कह कर संबोधित करते थे । कलम की ताकत की अलख इन लोगों ने ऐसी जगाई हुई थी के पन्नों पर कलम द्वारा उकेरे गए समस्याओं को प्रशासन द्वारा जल्दी निपटा दी जाती थी । पत्रकारिता की धमक महेश्वर बाबू जब तक कार्यरूप में रहे तब तक उन्होंने कायम रखी। फिलहाल इनका भी ईश्वर को प्यारा हो जाना पत्रकारिता जगत तथा उनके चाहने वालों को एक बड़ा शून्य देकर चले गए। इस शून्य को भर पाना शायद अभी संभव नहीं ।उनके जो आशीर्वचन तथा उनके साथ के मित्रों की गतिविधियां ,उनके बाद आए पत्रकारों के लिए जो प्रेम भाव और आशीर्वाद समर्पित वाला अंदाज इन लोगों के मन में था वह कई पत्रकार जन्मो तक नहीं भूल पाएंगे।