पूर्वांचल ब्यूरो /अनुपम श्रीवास्तव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से मंगलवार को शरद पूर्णिमा व वाल्मीकि जयंती कार्यक्रम उत्साहपूर्वक मनाई गई। गौतम नगर के कार्यकर्ताओं ने शरद पूर्णिमा के अवसर पर पहडिय़ा स्थित तालाब व लोहिया नगर कम्युनिटी हाल में आयोजन किया।
पहडिय़ा पर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन से किया गया। इस अवसर पर नगर कार्यवाह राहुल ने आदि कवि महर्षि वाल्मीकि का उल्लेख करते हुए कहा कि महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण महाकाव्य में राजनीति, दर्शन, नैतिकता, शासन कुशलता व मनोविज्ञान का विशद वर्णन मिलता है जो सिद्ध करता है की वाल्मीकि प्रकांड विद्वान व विविध विषयों के ज्ञाता थे। उन्होंने अपने ग्रंथ में विविध घटनाओं के समय नक्षत्रों, ग्रहों की स्थिति का जो खगोलीय विवरण दिया है, वह आधुनिक विज्ञान द्वारा सही पाया गया है। आदि कवि वाल्मीकि गुरुकुल परंपरा के पहले कुलपति माने जाते हैं, जिनका आश्रम तमसा नदी के किनारे स्थित था। जहां शिष्य वेदों व अन्य विषयों की शिक्षा प्राप्त करते थे। चेन्नई के पास तिरुवनमीयुर में स्थित वाल्मीकि का 1300 वर्ष प्राचीन मंदिर स्थित है। इसके बारे में मान्यता है कि रामायण के रचना के पश्चात महर्षि ने यहां कुछ समय विश्राम किया था। महर्षि वाल्मीकि का प्राकट्य दिवस अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को उत्साह मनाया जाता है। कार्यक्रम में गौतम नगर संघचालक नंदलाल, संपर्क प्रमुख अशोक, पवन, प्रचार प्रमुख विजय, बौद्धिक प्रमुख विनोद, पर्यावरण प्रमुख हरिशंकर आदि मौजूद थे।